बूंदी विधायक सदन में बोले
कोटा एयरपोर्ट के लिए 3 हजार बीघा जमीन हमने दी, एमओयू में बूंदी का नाम तक नही
विधायक की सरकार को दो टूक, बोले एयरपोर्ट में बूंदी का नाम नही तो जन आंदोलन होगा।
बूंदी। स्मार्ट हलचल/राज्य सरकार द्वारा हाल ही में कोटा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट को लेकर किए गए एमओयू में बूंदी जिले का नाम शामिल नही करने पर बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने भरे सदन में कड़ी नाराजगी जताई है। शुक्रवार को स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए शर्मा ने कहा कि कोटा एयरपोर्ट के लिए 3 हजार बीघा जमीन बूंदी जिले ने दी है। वह भूमि बून्दी विधानसभा क्षेत्र के तालेड़ा तहसील क्षेत्र में आती है। उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर एयरपोर्ट के लिए एमओयू भी हो चुका। लेकिन बून्दी जिले का कई कोई नाम नही है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि में चाहूंगा कि जब भी एयरपोर्ट का निर्माण हो उसमे कोटा के साथ बून्दी का नाम भी शामिल किया जाये। उन्होंने कहा कि अगर बून्दी के नाम को शामिल नही किया गया तो बड़ा जन आंदोलन होगा।
बून्दी के विकास में टन टन पाल- मदन गोपाल
बून्दी से कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने सदन में बोलते हुए कहा कि हम एयरपोर्ट के लिए 3 हजार बीघा जमीन दे रहे है तो बून्दी को भी तो कुछ मिलना चाहिए। विधायक ने कहा कि इतना कुछ देने के बाद भी बून्दी के विकास में टन टन पाल, मदनगोपाल वाली स्थिति नजर आ रही है। ऐसा नही चलेगा। शर्मा ने सदन में मांग कि के जब भी एयरपोर्ट अथॉरिटी कोटा के वर्तमान एयरपोर्ट की भूमि को बेचे तो उसका पैसा बून्दी के विकास में खर्च किये जायें।
केडीए से सबसे ज्यादा बून्दी को हुआ नुकसान
विधायक हरिमोहन शर्मा ने सदन में बताया कि “केडीए” यानी कोटा डवलपमेंट ऑथोरिटी के बनने से सबसे ज्यादा नुकसान बून्दी जिले को हुआ है। उन्होंने बताया कि केडीए में बून्दी जिले के 64 महत्वपूर्ण गांवों को शामिल कर लिया गया है। जिन गांवों को केडीए में शामिल किया गया है, वहां के लोगो का हाल बुरा है। उन्हें हर छोटे बड़े कामो के लिए कोटा के चक्कर लगाने पड़ रहे है। वहां पंचायत काम नहीं करवा पा रही है। लोग बेहद परेशान है। सरकार को इस विषय मे कुछ करना चाहिए।
बिना नगर परिषद की एनओसी के नही हो कृषि भूमियों के प्लाटों की रजिस्ट्रीया
विधायक शर्मा ने सदन को बताया कि कुछ वर्षों में कृषि भूमियों पर अवैध रूप से कॉलोनियों को काटा जा रहा है। जहां भोले भाले लोगो को केवल रजिस्ट्री करवाकर ही कब्जा दिया जा रहा है। कॉलोनियों के कन्वर्जन नही होने से लोगो को सड़क, नाली, पानी अन्य मूलभूत सुविधाएं से वंचित रह जाते है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसी भी नगर परिषद, नगर पालिका के द्वारा एनओसी जारी करने पर ही रजिस्ट्रियां की जानी चाहिए। सरकार को इस तरह की व्यवस्था करने से अवैध कॉलोनियों पर रोक लगेगी और बिना कन्वर्जन के कोई कॉलोनी विकसित नही कर सकेगा।