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तिरुपति मंदिर में लड्डू को बनाने में घी के साथ पशु की चर्बी और फिश ऑयल का इस्तेमाल ,अब तक क्‍या-क्‍या हुआ?


Animal fat and fish oil in Tirupati temple laddu

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में क्या-क्या मिला?
चंद्रबाबू नायडू सरकार ने सेंटर ऑफ एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (CALF) की रिपोर्ट शेयर की है.
रिपोर्ट में तिरुपति के प्रसाद लड्डू में इस्तेमाल होने वाली घी में कई सारे वेजिटेबल फैट और एनिमल फैट होने का दावा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, लड्डुओं में सोयाबीन, सनफ्लोवर, ऑलिव, रेपसीड, लिसीड, व्हीट जर्म, मेज जर्म, कॉटन सीड, कोकोनट, पाम कर्नल, पाम ऑयल पाया गया है. इसके साथ ही इसमें बीफ टैलो, लार्ड और फिश ऑयल जैसे एनिमल फैट की मिलावट भी मिली है.


रिपोर्ट में यह भी दावा गया है कि लड्डुओं में तय अनुपात के हिसाब से चीज़ें नहीं थीं. इसे S वैल्यू कहा गया है. यानी अगर चीज़ों का S वैल्यू सही नहीं है, तो इसमें मिलावट हुई है.

आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर (Tirupati Temple) में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला लड्डू, इन दिनों राजनीतिक विवाद का केंद्र बना हुआ है. गुजरात की एक प्रयोगशाला ने लड्डू को बनाने में घी के साथ पशु की चर्बी और फिश ऑयल का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया है. इसके बाद मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर श्रद्धालुओं की भावना को आहत करने का ‘महापाप’ का आरोप लगाया है. वहीं वाईएसआरसीपी (YSRCP) ने पलटवार करते हुए कहा है कि सीएम राजनीतिक लाभ लेने के लिए ‘घृणित आरोप’ लगा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला है क्या और अब तक क्या-क्या हुआ है?

दरअसल सबसे पहले सीएम चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की विधायक दल की बैठक के दौरान दावा किया कि पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को भी नहीं बख्शा और लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने कहा कि तिरुपति मंदिर ना सिर्फ राज्य के लिए बल्कि देश और दुनिया के हिंदुओं के लिए गौरव का स्थान है.


क्या है फ्री टेंपल मूवमेंट

देशभर में मंदिरों पर से सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने की मांग को लेकर पिछले एक दशक से आंदोलन हो रहे हैं। लोगों की मांग है कि सरकार इन मंदिरों को अपने नियंत्रण से मुक्त करे। इससे मंदिर बोर्ड में हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। कई लोग मानते हैं, ‘हिंदू मंदिरों की स्वतंत्रता’ आंदोलन न तो 2014 के बाद शुरू हुआ कोई नया संघर्ष है और न ही यह सांप्रदायिक एजेंडे का हिस्सा है। सुधार के बाद के भारत में जहां राज्य अपनी अधिकांश संपत्तियों, कंपनियों और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को उदार बना रहा है, मंदिर अभी भी उसके नियंत्रण में हैं। मंदिरों को मुक्त करने के आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि हिंदू मंदिरों पर नियंत्रण धार्मिक क्षेत्र में ‘लाइसेंस परमिट राज’ का आदर्श उदाहरण है।

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स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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