(राजेश जीनगर, भीलवाड़ा)
आज से शुरू होने जा रहे मां शक्ति की आराधना के नौ दिवसीय आयोजन के दौरान शहर के विभिन्न चौराहों पर सामाजिक संगठनों व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा सजाए गए पांडालों में सांझ ढलने के साथ ही डांडियों की खनक शुरू हो जाएगी और बड़े धूमधाम व उत्साह के साथ पुरे नौ दिन मां दुर्गा की पुजा अर्चना कर नवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस त्योहार में लोग नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और शक्ति की आराधना करते हैं. नवरात्रि केवल धार्मिक पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सांस्कृतिक गतिविधियां भी महत्वपूर्ण होती हैं. गरबा और डांडिया, नवरात्रि के दौरान खेले जाने वाले प्रमुख नृत्य हैं, जो इस पर्व का मुख्य आकर्षण होते हैं. बिना गरबा और डांडिया के नवरात्रि का जश्न अधूरा माना जाता है। जिसमें गरबा का मतलब सिर्फ फुहड़ता भरे फिल्मी गानों पर नृत्य की प्रस्तुति देना नहीं होना चाहिए, बल्कि भारतीय संस्कृति के अनुसार पारंपरिक परिधान में पांडालों में युवक युवतियों, महिला व पुरुषों द्वारा गरबा किया जाना चाहिए। तभी गरबा महोत्सव के आयोजन सार्थक कहे जा सकते हैं। गरबा नृत्य भक्ति गीतों के साथ किया जाना चाहिए तभी भक्त अपनी आस्था और भक्ति व्यक्त कर सकते हैं। हिन्दू धर्म शास्त्रों की मानें तो गरबा नृत्य का मुख्य उद्देश्य देवी दुर्गा की पूजा करना है. इसे देवी के गर्भ में छिपी ऊर्जा और शक्ति को प्रकट करने का माध्यम माना जाता है। गरबा का गोलाकार स्वरूप ब्रह्मांड के निरंतर चलने वाले चक्र को दर्शाता है, जो जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक होता है. यह नृत्य देवी की शक्ति का सम्मान करने और उनकी कृपा पाने का एक साधन माना जाता है. साथ ही डांडिया नृत्य में पुरुष और महिलाएं लकड़ी की छड़ियों का उपयोग करके नृत्य करते हैं. यह नृत्य देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुई लड़ाई का प्रतीक भी माना गया है। डांडिया नृत्य में इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी की डांडियों को देवी दुर्गा की तलवार का प्रतीक माना जाता हैं, जो बुराई का नाश करती हैं। वहीं गरबा और डांडिया सिर्फ धार्मिक नृत्य नहीं हैं, बल्कि यह सामाजिक एकता का संदेश भी हैं. यह नृत्य समाज को एक मंच प्रदान करता हैं और सामाजिक संबंधों को मजबूत करता हैं साथ ही इसे अपनी मस्ती में उत्साह के साथ किया जाए तो ये शारीरिक व्यायाम का भी बेहतरीन तरीका हैं। मां दुर्गा के समक्ष पांडालों में नौ दिवसीय ये नृत्य भक्तों को मानसिक शांति और सुकून भी प्रदान करता है और यह देवी दुर्गा की आराधना का एक रूप होने के साथ-साथ जीवन चक्र और देवी की अनंत शक्ति का प्रतीक भी है।