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अमित शाह का पुतला जलाने में कानपुर के अधिवक्ता आरके सिंह के सवालों से सरल नहीं,वकीलों के खिलाफ आरोप पत्र

– वकील कर रहे सवाल – यातायात अवरूद्ध हुआ तो परेशानी होने पर किस राहगीर ने लिखाई रिपोर्ट और अगर सड़क क्षतिग्रस्त हुई तो कहां, कैसे ,किस तरह और कितनी ?

– भीमराव अंबेडकर पर बयान के खिलाफ अमित शाह का पुतला जलाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके सिंह यादव समेत 7 वकीलों के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट की विवेचना कर रही कोतवाली पुलिस

सुनील बाजपेई
कानपुर। स्मार्ट हलचल/संविधान निर्माता डा.भीमराव अंबेडकर पर राज्यसभा में दिए गए विवादित बयान के विरोध में गृहमंत्री अमित शाह का पुतला जलाने के मामले में यहां वरिष्ठ अधिवक्ता आरके सिंह यादव और अन्य वकीलों के खिलाफ कोतवाली में दर्ज कराई गई एफ आई आर की विवेचना अभी तक पूरी नहीं हुई है।
सूत्रों का दावा है यह भी है कि विवेचना को पूरी करने के रूप में आरोपी बनाए गए अधिवक्ताओं को दोषी साबित करते हुए उनके खिलाफ चार्जशीट सीट लगाना भी सरल नहीं है ,क्योंकि पुलिस यानी विवेचक का पाला किसी ऐसे वैसे से नहीं बल्कि कानून की बारीकियों में भी बारीकियां खोजने वाले आर के सिंह यादव जैसे उन महारथी वरिष्ठ अधिवक्ता से पड़ा है, जो देश के बहुचर्चित रहे बेहमई कांड में दस्यु सुंदरी फूलन देवी के केस भी उसके पक्ष में अपने अकाटय तर्को और अझेल जिरह से प्रबल विरोधियों के छक्के भी छुड़ा चुके हैं। यही नहीं बेहद निडर तथा हर किसी के सुख दुख में सदैव खड़े होने वाले शिवत्व स्वभाव के कानून विद वरिष्ठ अधिवक्ता आरके सिंह यादव असहाय गरीबों को भी हर संभव कानूनी सहायता उपलब्ध कराने में अग्रणी माने जाते हैं।
उनके मुताबिक दर्ज कराई गई एफ आई आर में जिस समय पुतला जलाने की बात कही गई है। उस समय वह वहां पर मौजूद नहीं रहकर इसी संदर्भ में अलग एक सभा को संबोधित कर रहे थे। जहां तक धारा 126 (2) BNS 2023 व 3/5 सार्वजनिक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 के अन्तर्गत दर्ज मुकदमे का सवाल है। इसकी विवेचना दरोगा महेश सिंह के हवाले है और इस मुकदमे का संबंध राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बारे में दिए गए बयान के विरोध में गृहमंत्री अमित शाह का पुतला जलाए जाने से है ,जिसके बारे में दरोगा गणेश द्वारा कोतवाली में दर्ज कराई गई एफ आई आर के मुताबिक 19.12.2024 को अधिवक्ता गण राहुल कनौजिया, रोहित सोनकर, बुद्ध चन्द, सागर यादव, डीएन पाल, वीरेन्द्र प्रताप, आर के यादव व आदि के एक समूह द्वारा भारत सरकार के केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा संसद भवन में बाबा भीम राव अम्बेडकर के उपर दिये गये एक वक्तव्य के विरोध में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पुतला बना कर सार्वजनिक मार्ग को अवैध रूप से अवरुद्ध किया गया, जिससे सार्वजनिक यातायात व्यवस्था बाधित हो गयी तथा पुतले को बीच सड़क पर जलाते हुए सार्वजनिक सरकारी सड़क को क्षतिग्रस्त किया गया।
जहां तक दर्ज कराई गई एफ आई आर के आधार पर अधिवक्ताओं के खिलाफ सार्वजनिक मार्ग को अवैध रूप से अवरुद्ध करने, सार्वजनिक यातायात व्यवस्था बाधित होने तथा पुतले को जलाकर सार्वजनिक सरकारी सड़क को क्षतिग्रस्त करने आदि आरोपों को साबित करने का सवाल है। विवेचक के लिए यह सब कुछ बहुत सरल नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आरके सिंह के मुताबिक विवेचना की परिभाषा को समझते हुए विवेचक को यह अवश्य स्पष्ट करना चाहिए कि अगर यातायात अवरुद्ध किया गया और लोगों को परेशानी हुई तो क्या उस परेशान राहगीर व्यक्ति ने पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज कराई ? क्योंकि अगर किसी भी राहगीर को परेशानी हुई तो उसे रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए थी। आखिर विरोध प्रदर्शन का और कौन सा तरीका अपनाया जाना चाहिए यह भी सवाल करते हुए लोकहित में अपनी धुन के पक्के वरिष्ठ अधिवक्ता आरके सिंह यादव यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़क कहां पर ,कैसे और कितनी क्षतिग्रस्त हुई विवेचना में यह भी अवश्य स्पष्ट किया जाना चाहिए।
कुल मिलाकर इस मामले में आरोपित अधिवक्ताओं के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना बहुत सरल नहीं माना जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि सब कुछ की जाने वाली लिखा पढ़ी पर ही निर्भर करता है। यानी देश और समाज के हित में अधिकार सम्पन्न सक्षम पद का कोई भी धारक वह चाहे कार्यपालिका का हो, विधायिका का हो या फिर न्यायपालिका का ,किसी रूप में कुछ आदेशित न करें, कुछ कहे – बोले नहीं ,कुछ लिखे नहीं और मौन रहे तो फिर संसार का संचालन हो ही नहीं सकता। सारी व्यवस्था वहीं रुक जाएगी। मतलब अजर, अमर, अविनाशी अक्षरों से निर्मित शब्द से बने वाक्य ही लिखने, पढ़ने और बोलने के रुप में ही इस संसार का संचालन करते हैं, जिनका प्रयोग किये बगैर कोई कुछ कर ही नहीं सकता। खैर संसार संचालक अजर, अमर अविनाशी अक्षर से शब्द और शब्द से वाक्य लिखने के रूप में इस विवेचना का परिणाम किसके खिलाफ अथवा पक्ष में जाएगा। इसका सटीक जवाब चर्चित अधिवक्ता आरके सिंह के अलावा और कौन दे पाएगा।

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