बजरंग आचार्य
सादुलपुर|स्मार्ट हलचल|सिविल न्यायाधीश मयंक मीणा की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में विजय कुमार और उषा द्वारा दायर एक सिविल वाद को खारिज कर दिया। यह वाद रामवतार द्वारा अपनी कृषि भूमि के हकत्याग विलेख को चुनौती देने के लिए दायर किया गया था, जो उसने अपने भाइयों राजाराम और सुरेश के पक्ष में किया था।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद रामवतार द्वारा किए गए हकत्याग विलेख को सही माना और वादियों (विजय कुमार और उषा) के वाद को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद, हकत्याग विलेख वैध रहेगा, जिससे रामवतार की कृषि भूमि का अधिकार उसके भाइयों राजाराम और सुरेश को मिल जाएगा।
इस मामले में, प्रतिवादी राजाराम और सुरेश की तरफ से पैरवी एडवोकेट विमल शर्मा ने की। न्यायालय का यह फैसला इस बात को दर्शाता है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपनी संपत्ति का हक अपने परिवार के सदस्यों के पक्ष में छोड़ता है, तो ऐसे विलेख कानूनी रूप से मान्य होते हैं।


