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गिरफ्तारी के साथ खत्म हुआ हेमंत सोरेन की लुका छुपी का खेल !

अशोक भाटिया

स्मार्ट हलचल/रांची के कथित जमीन घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर ईडी की टीम ने छह घंटों तक उनसे पूछताछ शुरुआत की थी । इससे पहले सोमवार को भी ईडी की टीम दिल्ली स्थित उनके आवास पर पूछताछ करने पहुंची थी, लेकिन वो वहां नहीं मिले थे।रांची के कथित जमीन घोटाले में पूछताछ के लिए ईडी की टीम उन्हें 10 समन जारी कर चुकी थी। कुछ दिन पहले ही ईडी ने कई घंटों तक उनसे पूछताछ भी की थी। लेकिन बुधवार को उन्हें घंटों की पूछताछ के बाद आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ़्तारी के पूर्व लॉन्ड्रिंग झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दे दिया था ।

निर्धारित पूछताछ से पहले माहौल देखकर , प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर अतिरिक्त सुरक्षा की मांग कर रखी थी । जांच एजेंसी ने सोरेन से पूछताछ के दौरान संभावित कानून-व्यवस्था की समस्या की आशंका में यह मांग की थी । प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए बुधवार दोपहर को ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर पहुंच चुकी थी।

बताते है कि ईडी की एक टीम ने सोमवार को सोरेन के दिल्ली आवास की तलाशी ली और झारखंड में एक कथित भूमि सौदे से जुड़े धनशोधन मामले में उनसे पूछताछ करने के लिए लगभग 13 घंटे तक वहां डेरा डाले रखा। एजेंसी ने तलाशी के दौरान 36 लाख रुपये नकद, एक एसयूवी और कुछ ‘आपत्तिजनक’ दस्तावेज जब्त करने का दावा किया है।

अब हेमंत सोरेन त्यागपत्र के बाद उनकी जगह चंपई सोरेन झारखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। जबकि संभावना जताई जा रही थी कि हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को कमान सौंपेंगे। आज ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को राज्य की कमान दी जाएगी। दरअसल, सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि हेमंत सोरेन ने विधायकों की बैठक में गिरफ्तारी की सूरत में पत्नी को कमान दी जा सकती है। लेकिन विधायक दल की बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन को नेता चुना गया। इसी के साथ झारखंड में पिछले दो दिनों से जारी लुका छिपी का खेल भी खत्म हो गया। सोरेन ईडी की पूछताछ और गिरफ्तारी से बचने के लिए दिल्ली से झारखंड तक दौड़ लगा रहे थे, लेकिन कोई भी विकल्प न बचने के बाद उन्होंने त्यागपत्र देने का निर्णय लिया।

इस महीने की शुरुआत में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी ऐसा ही दावा किया था, लेकिन खुद मुख्यमंत्री ने इसे खारिज कर दिया था। उस समय सोरेन ने निकट भविष्य में अपनी पत्नी के चुनाव लड़ने की संभावना से भी इनकार कर दिया था।कल्पना सोरेन विधायक नहीं हैं और यदि वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेती हैं तो उन्हें छह महीने के भीतर उपचुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना होगा।

इस मामले में एक पेंच ये भी है कि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल एक साल से भी कम समय में खत्म हो रहा है, इसलिए उपचुनाव की संभावना को खारिज किया जा सकता है। ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली कल्पना की शादी 7 फरवरी 2006 को हेमंत सोरेन से हुई और उनके दो बच्चे निखिल और अंश हैं। कल्पना सोरेन का जन्म 1976 में रांची में हुआ था। उनके पिता एक व्यवसायी हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया और एमबीए भी किया है।

वह 2022 में तब सुर्खियों में आईं जब पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने हेमंत सोरेन पर अपनी पत्नी के स्वामित्व वाली कंपनी को एक इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट आवंटित करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।

गौरतलब है कि 40 घंटे तक गायब रहने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को सबके सामने आए। दिल्ली से अंतर्ध्यान हुए थे, रांची में प्रकट हो गए। ईडी की टीम दिल्ली के घर में खड़ी गाड़ी की तलाशी लेती रही और हेमंत सोरेन दूसरी गाड़ी में बैठकर हंसते-मुस्कुराते रांची में अपने घर में घुसे। लोगों ने पूछा, कहां थे, तो जवाब दिया, आपके दिल में थे। चूंकि झारखंड में तेजी से घटनाक्रम हो रहे थे, तो राज्यपाल सी। पी। राधाकृष्णन ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक को तलब किया हुआ था । मुख्यमंत्री आवास और राजभवन के सौ मीटर के दायरे में दफा 144 लागू कर दी गई थी । ईडी दफ्तर के बाहर केन्द्रीय सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए थे । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 फरवरी को रांची पहुंचने वाले थे, रात में राजभवन में रुक कर अगले दिन धनबाद और फिर बिहार के बेतिया में रैली होनी थी, लेकिन ये दौरा रद्द कर दिया गया। ENT

चूंकि एक साथ इतने राजनीतिक घटनाक्रम हो रहे थे और सबको जोड़कर देखा जाए तो समझ में आ रहा था कि कुछ तो बड़ा होने वाला है। इसीलिए हेमंत सोरेन फ्यूचर प्लानिंग में लगे हैं। चूंकि हेमंत सोरेन 40 घंटे तक गायब रहे, इसलिए बहुत सारे सवाल पैदा हुए। सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि अगर हेमंत सोरेन को गिरफ्तारी का डर था तो वो रांची से दिल्ली आए क्यों? अगर आए थे, तो भागे क्यों? भागे, तो छुपकर क्यों भागे? उनका चार्टर्ड प्लेन दिल्ली एयरपोर्ट पर खड़ा रहा, तो वो रांची पहुंचे कैसे? अगर हेमंत सोरेन कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। तो पहले भी बना सकते थे। क्या वो किसी डील का इंतजार कर रहे थे, जो नहीं बनी? या फिर उनके परिवार में इसको लेकर फूट है? ऐसे मौके पर हेमंत सोरेन के विधायक भाई बसंत सोरेन खामोश क्यों हैं? और उनकी विधायक भाभी सीता सोरेन दिल्ली में क्यों हैं? वो रांची क्यों नहीं गईं? क्या JMM के कुछ विधायक भाजपा के टच में हैं? क्या भाजपा ने तुरूप का इक्का छुपा रखा है? क्या झारखंड में भी बिहार की तरह कोई खेल हो सकता है?

हकीकत ये है कि हेमंत सोरेन को समझ में आ गया था कि उनकी गिरफ्तारी तय है। उनके पास ईडी के सवालों के जबाव नहीं हैं। वो पूरी प्लानिंग के साथ ईडी से बच रहे थे। वह अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाने की कोशिश कर रहे थे। गिरफ्तारी के डर से झारखंड से बाहर नहीं जा रहे थे। लेकिन अचानक दिल्ली पहुंचे, इसलिए हलचल हुई। पता ये लगा है कि हेमंत सोरेन गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी आखिरी कोशिश के तहत भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात करने दिल्ली आए थे। उन्हें लग रहा था कि अगर वो पाला बदल लें, भाजपा के साथ चले जाएं, तो शायद जेल जाने से बच सकते हैं। लेकिन दिल्ली में भाजपा के नेताओं ने मुलाकात तो क्या, बात करने से इंकार कर दिया। इसके बाद हेमंत सोरेन समझ गए कि दिल्ली में घर लौटे तो ईडी दबोच लेगी। इसीलिए वो घर लौटने के बजाए चुपके से बिना किसी को बताए रांची निकल गए। लेकिन हैरानी की बात ये है कि एक राज्य का मुख्यमंत्री, जिसे जैड प्लस सिक्युरिटी कवर मिला हो, वह इस तरह निकल जाए, किसी को कानों कान खबर न लगे, सुरक्षाकर्मी खड़े रह जाएं, ये कैसे संभव है? लेकिन हेमंत सोरेन ने ये कर दिखाया और मंगलवार को जिस अंदाज़ में रांची पहुंचे, उससे लगा कि वो दिखा रहे हों कि उनको पकड़ना आसान नहीं हैं। अब जा हेमंत सोरेन सहयोगी दलों को इस बात के लिए तैयार कर रहे थे कि अगर उनको गिरफ्तार किया जाता है, तो उनकी पत्नी को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार करें। लेकिन ये इतना आसान नहीं था क्योंकि इस मामले में गठबंधन तो दूर की बात, परिवार में भी एक राय नहीं थी । पता ये लगा है कि हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। वह दुमका से विधायक हैं। हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भी जामा से विधायक हैं। पार्टी के कुछ विधायक उनके साथ हैं। अगर हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को अपनी जगह कुर्सी पर बैठाने की कोशिश की तो ऐसी चर्चा है कि बसंत सोरेन ही खेल खराब कर सकते हैं। भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। इस वक्त झारखंड विधानसभा की तस्वीर कुछ ऐसी है – कुल सीटें 81, सत्ता पक्ष – JMM – 29, कांग्रेस – 17 , आरजेडी – 1, सीपीआई-माले 1 , विपक्ष – बीजेपी 26, AJSU 3, एनसीपी 1, निर्दलीय 1।

 

अब बात करते है कि क्या है यह जमीन घोटाला जिसके कारण ये हालात बने ? तो आपको बता दे कि जून 2022 में रांची के बरायतु पुलिस थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई थी। ये एफआईआर रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा की ओर से दर्ज कराई गई थी। इसमें प्रदीप बागची नाम के शख्स को आरोपी बनाया गया। आरोप था कि प्रदीप बागची ने फर्जी कागजातों के जरिए भारतीय सेना की एक संपत्ति को हड़प लिया है। ईडी ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि 4।5 एकड़ की ये जमीन बीएम लक्ष्मण राव की थी, जिन्होंने आजादी के बाद इसे सेना को सौंप दिया था।

अप्रैल 2023 में ईडी ने प्रदीप बागची समेत सात आरोपियों को मामले में गिरफ्तार किया, जिन सात को गिरफ्तार किया गया, उनमें से दो- अफसर अली और भानु प्रताप सरकारी कर्मचारी थे। अफसर अली सरकारी अस्पताल में ग्रेड-3 के कर्मचारी हैं, जबकि भानु प्रताप रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर थे। बाकी सभी लैंड माफिया से जुड़े थे और फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीनों की बिक्री में शामिल थे।

ईडी ने जांच के दौरान पाया कि सेना की जमीन का असली मालिक प्रदीप बागची को दिखाने के लिए लैंड माफियाओं, बिचौलियों और नौकरशाहों ने मिलकर काम किया। जांच में ईडी को पता चला कि एक फर्जी दस्तावेज बनाया गया था। इसे 1932 का दिखाया गया। इसमें लिखा था कि ये जमीन प्रफुल्ल बागची ने सरकार से खरीदी थी। 90 साल बाद 2021 में प्रफुल्ल बागची के बेटे प्रदीप बागची ने ये जमीन कोलकाता की जगतबंधु टी एस्टेट लिमिटेड को बेच दी।

जगतबंधु टी एस्टेट के डायरेक्टर दिलीप घोष हैं, लेकिन जांच में पता चला कि जमीन असल में अमित अग्रवाल नाम के शख्स को मिली। अमित अग्रवाल कथित तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी बताए जाते हैं। पिछले साल जून में ईडी ने दिलीप घोष और अमित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया था।

अब देखना होगा कि ईडी के निशाने पर कौन है ? बताया जाता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी ईडी कई बार सम्मन भेज चुकी है पर कोई रिस्पांस न आने के कारण उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है ।

 

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