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अयोध्या आंदोलन की कहानी ; अंटाली के देवकीनंदन शर्मा ने कहा हमारा लक्ष्य सिर्फ ढांचे को ढहाना था , अब रामलाल मंदिर विराजित होंगे

रस्सी के सारे विवादित ढांचे पर चढ़ गए , विवादित ढांचे को तोड़ते समय में मलबे के साथ नीचे गिर गया , प्राथमिक इलाज के बाद वापस गुंबद तोड़ने पहुंच गया : देवकीनंदन

अंटाली । अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए विवादित ढांचा तोड़ने के अभियान में वर्ष 1990 और 1992 में अहम भूमिका निभाने वाले अंटाली गांव निवासी देवकीनंदन शर्मा ने बताया कि आज मेरा सपना सच हो रहा है । इससे बड़ी खुशी और कुछ नहीं हो सकती । पहली बार 1990 और दूसरी बार 1992 में कार सेवक बाबरी ढांचा तोड़ने के लिए रवाना हुए । टडला पास हमें गिरफ्तार कर लिया और 5 दिन तक हमें वही रखा । मैंने वर्ष 1990 एवं 1992 में कार सेवा में भाग लिया । 6 दिसंबर को विवादित ढांचे की गुंबद पर चढ़ने वाले में मैं भी शामिल था । गुंबद के चारों तरफ पुलिस का विशेष पहरा था । घेरा तोड़कर कर सेवक गुंबद पर चढ़ गए । गुंबद के पास नीम के पेड़ पर रस्सी बांधकर ढांचे कार सेवक चढ़ गए । नीम का पेड़ कार सेवकों का भार सह नहीं पाया और टूट गया । एवं 6 दिसंबर 1992 को 11:30 बजे कार सेवक ढांचा तोड़ना शुरू किया जो 5:00 तक 60 से 70 फीट ऊंचे ढांचा को तोड़ दिया गया । कार सेवकों ने गुंबद तोड़कर नीचे गिरा दिया गया । मैं भी मलबे के साथ नीचे गिर गया । प्राथमिक उपचार के बाद वापस गुंबद तोड़ने पहुंच गया । ढांचा तोड़ने के बाद बड़ा चबूतरा बनाकर टेंट लगाकर रामलाल की स्थापना की । और शाम 6:00 बजे मंच से कहा आप सभी तत्काल अयोध्या से निकल जाए यहां राष्ट्रपति शासन लगने वाला है । हमारे साथ नरसिंह द्वारा के कन्हैया दास महाराज थें । 1990 में कार सेवक का अभिनंदन पत्र भी मिला । अंटाली के देवकीनंदन शर्मा ने कहा हमारा लक्ष्य सिर्फ ढांचे को ढहाना था , अब रामलाल मंदिर विराजित होंगे ।

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