विश्व रक्तदाता दिवस
मदन मोहन भास्कर
स्मार्ट हलचल/विश्व रक्तदाता दिवस शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर चुके वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर की याद में पूरे विश्व में मनाया जाता है। महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म 14 जून 1868 को हुआ था। उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्त कणों का ए, बी और ओ समूह की पहचान की थी। इसलिए एक दूसरे के जीवन बचाने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 14 जून को रक्त दान दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह दिन लोगों से रक्तदान करके जीवन बचाने का आग्रह करता है और सभी लोगों को रक्तदान करने में सक्षम होने के लिए मूल बातों के बारे में बताया जाता है। जो की बहुत ही आवश्यक है। रक्त वह तरल पदार्थ है जो हमारे पूरे शरीर में विभिन्न कार्यों का संचालन करता है। जब व्यक्ति अत्यधिक रक्त को खो देता है तो उसे किसी भारी स्रोत से रक्त की आवश्यकता होती है। ऐसे में रक्तदान अहम भूमिका निभाता है बीमार लोगों की मदद करने के लिए आप जो सबसे नेक काम कर सकते हैं। वह रक्तदान प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति से रक्त लिया जाता है और दूसरे व्यक्ति को रक्त चढ़ाया जाता है रक्तदान करने का मुख्य कारण किसी की जान बचाना है।
रक्त की आवश्यकता
हर साल हमारे देश में 5 यूनिट करोड़ रक्त की आवश्यकता होती है जिसमें से केवल 2.5 करोड़ यूनिट रक्त उपलब्ध होता है। इससे भी बदतर स्थिति यह है कि लगभग 8 मुख रक्त प्रकार हैं। यह संकेत देता है कि सही समय पर सही प्रकार का रक्त उपलब्ध होना चाहिए और भारत जैसे विकासशील देश में यह है संभव नहीं है। इसलिए लोगों के जीवन को बचाने के लिए स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लोगों को अधिक से अधिक रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 1997 से 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस मुहिम के पीछे मकसद विश्व भर में रक्तदान की अहमियत को समझाना था लेकिन भारत में इस मुहिम को इतना प्रोत्साहन नहीं मिल पाया जितना कि मिलना चाहिए। रक्त को एकत्रित करने का एकमात्र उपाय रक्तदान है।
रक्तदान कौन कर सकता है
लोगों को यह धारणा है कि रक्तदान से कमजोरी आती है यह पूरी तरह बेबुनियाद है। ऐसा प्रत्येक पुरुष अथवा महिला जिसकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच हो, जिसका वजन 100 पॉन्ड या 48 किलो से अधिक हो,जो क्षय रोग,रतिरोग,पीलिया, मलेरिया,मधुमेह,एड्स आदि बीमारियों से पीड़ित नहीं हो, जिसने पिछले तीन माह से रक्तदान नहीं किया हो, रक्तदाता ने शराब अथवा कोई नशीली दवा नहीं ली हो, गर्भावस्था तथा पूर्ण अवधि के प्रसव के पश्चात शिशु को दूध पिलाने की 6 माह की अवधि में किसी स्त्री से रक्तदान स्वीकार नहीं किया जाता है।
एक बार में कितना रक्तदान कर सकते हैं
प्रतिदिन हमारे शरीर में पुराने रक्त का क्षय होता रहता है तथा प्रतिदिन नया रक्त बनता रहता है। एक बार में 350 मिलीलीटर ( कुल रक्त का 20 वां भाग) जो शरीर 24 घंटे में दिए गए रक्त के तरल भाग के पूर्ति कर लेता है।
रक्तदान से होने वाले फायदे
1. रक्तदान के समय बजन, बी.पी. हीमोग्लोबिन,ब्लड ग्रुप, मलेरिया,एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, वी.डी.आर.एल.की निशुल्क जांच हो जाती है।
2. नियमित रक्तदान से शरीर में आयरन की मात्रा संतुलित रहती है।
3. रक्तचाप सामान्य रहता है जिससे कैंसर जैसी घातक रोगों के होने का खतरा कम रहता है।
4. हृदयघात की संभावना में 90 प्रतिशत की कमी होती है।
5. नए ब्लड सेल बनते हैं।
6. मोटापा में कमी आती है।
7. लिवर स्वस्थ रहता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
8. कोलेस्ट्रोल का लेवल कम होता है।
9. रिसर्च में पाया गया है कि ब्लड डोनेट करने से खुशी मिलती है और मेंटल हेल्थ अच्छी रहती है।
10. आध्यात्मिक आनंद और आंतरिक शांति मिलती है।
रक्तदान कहाँ करें
रक्तदान किसी भी लाइसेंस युक्त ब्लड बैंक में किया जा सकता है। यह सुविधा सभी जिला चिकित्सालयों में भी उपलब्ध है। मान्यता प्राप्त प्राइवेट ब्लड बैंक को, रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं, संगठनों के माध्यम से समय-समय पर रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है। जहां स्वैच्छा से निश्चिंत होकर रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान करके किसी को नवजीवन देकर जो आत्मिक आनंद मिलता है उसका ना कोई मूल्य आंका जा सकता है और नहीं उसे शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है। चिकित्सकों का यह मानना है कि रक्तदान खून में कोलेस्ट्रॉल की अधिकता रक्त प्रभाव में बाधा डालती है। रक्तदान शरीर द्वारा रक्त बनाने की क्रिया को भी तीव्र कर देता है। रक्त के कणों का जीवन सिर्फ 90 से 120 दिन तक का होता है। प्रतिदिन हमारे शरीर में पुराने रक्त का क्षय होता रहता है और नया रक्त बनता जाता है बहुत से स्त्री पुरुषों ने नियमित रूप से रक्तदान करने का क्रम बना रखा है। अतः सभी को नियमित रूप से स्वैच्छिक रक्तदान करना चाहिए जिससे रक्त की हमेशा उपलब्धता बनी रहे। कोई सुहागिन विधवा नहीं बने, कोई वृद्ध मां-बाप बेसहार नहीं हो, खिलता यौवन काल कल्वित नहीं हो। आज किसी को आपके रक्त की आवश्यकता है, हो सकता है कल आपको किसी के रक्त की आवश्यकता हो,इसलिए निडर होकर स्वैच्छिक रक्तदान करें।
दूसरों के दर्द को जो महसूस करता है, वही तो सच्चा इंसान है।
रक्तदान वही कर सकता है, जो दिल का महान है।
आप भी रक्तदान करके मानवता का फर्ज निभाओ,
रिश्तेदारों से ज्यादा इज्जत पाओं।