Homeभीलवाड़ाकेक काटकर मनाया गंगापुर स्थापना दिवस

केक काटकर मनाया गंगापुर स्थापना दिवस

233 वर्ष पहले लालपुरा के नाम से बसा था कस्बा

गंगापुर – माघ सुदी तेरस को गंगा बाईसा की मूर्ति स्थापना दिवस को ही गंगापुर का स्थापना दिवस मनाया जाता है। गुरुवार को स्थापना दिवस पर मंदिर के अधीक्षक केशव शर्मा व कैलाश रैंबो के सानिध्य में पूजा अर्चना एवं केक काटकर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में आए हुए लोगों को इत्र,गुलाल लगा कर, महाआरती कर प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम में मंदिर ग्वालियर ट्रस्ट के सुप्रिटेंट केशव शर्मा, कैलाश रैंबो, नगर पालिका उपाध्यक्ष धर्मेंद्र गहलोत, पार्षद प्रतिनिधि कन्हैयालाल माली, अवधेश शर्मा, मुकेश गुर्जर, बालमुकुंद पंवार, प्रहलाद राय शर्मा, संदेश पगारिया, राजमल दुबे, दीपक माली, भेरूलाल तेली सहित कस्बे के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

गंगापुर कस्बे का इतिहास

आज से करीब 233 वर्ष पहले 1791 में गंगापुर बसा था। पहले इस नगर का नाम लालपुरा था। बताते है कि उदयपुर महाराणा व देवगढ़ राव गोकलदास चौपड़ पासा खेल रहे थे तब महाराणा ने बार बार कहा पड़ रहे पासा काना तब देवगढ़ रावजी चिढ़कर बिना इजाजत देवगढ़ से चले गए तो महाराणा ने देवगढ़ की राशन सामग्री बंद कर दी। राव गोकलदास ने ग्वालियर के महाराजा सिंधिया से अर्ज कि देवगढ़ जागीर पर वह प्रतिबंध हटाकर आप सुलह करवा दीजिए। इस पर उन्होंने इनकार कर दिया कि राजस्थान बड़ा राज्य है। मेरे राज्य को खतरा हो सकता है। तब महारानी गंगा बाईसा 500 सैनिकों की फौज लेकर उदयपुर आई। इस बारे में महाराणा को मालूम हुआ तब दीवान ने सलाह दी कि औरत के साथ लड़ना आपको शोभा नहीं देता। आप उनको बहन बना लो और देवगढ़ से प्रतिबंध हटा दो। उदयपुर महाराणा ने महारानी गंगा बाईसा को बहन मानकर देवगढ़ से प्रतिबंध हटा दिया। महारानी गंगा बाईसा ने फौज का खर्चा मांगा तो महाराणा ने 12 गांव ग्वालियर को दे दिए। इस घटना के बारे में सलूंबर राव, कानोड़ राव व बेदला राव को मालूम हुआ तो उन्होंने ग्वालियर जा रही महारानी गंगाबाई के काफिले पर हमला कर दिया। घमासान युद्ध हुआ, जिसमें महारानी की गर्दन कटकर लटक गई। महारानी घोड़े पर बैठी रही, तलवार मुट्ठी में तनी रही, 11 अगस्त 1791 को नगर के उंडिया तालाब की पाल के पीछे धड़ पड़ा और महारानी का स्वर्गवास हुआ। महारानी का अंतिम संस्कार यही किया गया। अंतिम संस्कार सामग्री नाथद्वारा से मंगवाई गई। महाराणा ने उंडिया तलाब के पास गंगा बाइसा की छतरी बनवाई। छतरी बनने के बाद गंगा बाइसा के नाम पर बसा गंगापुर – गांव के बीच में लाल पहाड़ी पर सात-आठ घर भीलो के थे। जिसका नाम लालपुरा था। छतरी बनी उसके बाद इसका गंगापुर नाम हुआ। छतरी बनने के बाद हजारों आदमी मेवाड़ से आये ओर दूकाने लगाई। माघ सुदी तेरस को मूर्ति स्थापना दिवस को ही गंगापुर का स्थापना दिवस मनाया जाता है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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