Homeराष्ट्रीयक्या 2024 के चुनाव के पूर्व नागरिकता संशोधन कानून लागू हो पाएगा...

क्या 2024 के चुनाव के पूर्व नागरिकता संशोधन कानून लागू हो पाएगा ?Citizenship Amendment Act

– अशोक भाटिया
स्मार्ट हलचल/नागरिकता संशोधन कानून को संसद से पारित हुए कमोबेस पांच साल बीत चुके हैं। सूत्रों के अनुसार अब केंद्र सरकार आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले इसे देश में लागू कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि इसकी तमाम तैयारियां कर ली गई हैं और आचार संहिता से पहले इसका नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है।गृह मंत्री अमित शाह भी अपने चुनावी भाषणों में नागरिकता संशोधन कानून या CAA को लागू करने की बात कर चुके हैं। उन्होंने ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर दिया जाएगा। इस कानून के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
गौरतलब है कि साल 2019 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था। इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था। नियमों के मुताबिक, नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होगा।
बताया तो यह भी जाता है कि केंद्र सरकार ने सीएए से संबंधित एक वेब पोर्टल भी तैयार कर ली है, जिसे आने वाले समय में लॉन्च किया जाएगा। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को पोर्टल पर अपनी रजिस्ट्रेशन करना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए विस्थापित अल्पसंख्यकों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।
ज्ञात हो कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने नागरिक कानून में संशोधन करने के साथ ही देशभर में एनआरसी लागू करने का ऐलान किया था। एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन तैयार किया जाना था। इसके तहत जो लोग अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं उन्हें देश से बाहर किए जाने का प्रावधान किया जाना था।केंद्र सरकार द्वारा इसका ऐलान किए जाने के बाद देशभर में बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन हुए। सरकार सीएए भी लागू नहीं कर सकी और अब चुनाव से पहले इसे लागू करने की कवायद फिर शुरू हो गई है।
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने दावा किया है कि अगले सात दिन के अंदर नागरिकता (संशोधन) कानून पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। ठाकुर ने यह बयान पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए दिया था । शांतनु ने बंगाली में कहा था कि मैं गारंटी दे सकता हूं कि अगले सात दिनों में ना सिर्फ पश्चिम बंगाल में, बल्कि पूरे देश में सीएए लागू किया जाएगा। इस बयान के बाद सीएए एक बार फिर चर्चा में है। भारतीय नागरिकता कानून क्या है और इसके लागू होने से क्या बदल जाएगा? किन प्रावधानों पर सबसे ज्यादा आपत्तियां हैं इसे जानना भी जरुरी है ।
नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था। यहां से तो ये पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। बाद में इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया और फिर 2019 का चुनाव आ गया। फिर से मोदी सरकार बनी। दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में दोबारा पेश किया गया। इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह से पास हो गया। 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। लेकिन उस समय कोरोना के कारण इसमें देरी हुई।
वैसे CAA को लेकर साल 2020 से लगातार एक्सटेंशन लिया जा रहा है। दरअसल, संसदीय प्रक्रियाओं की नियमावली के मुताबिक किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की सहमति के 6 महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए। ऐसा ना होने पर लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान समितियों से विस्तार की मांग की जानी चाहिए। सीएए के केस में 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समितियों से नियमित अंतराल में एक्सटेंशन लेता रहा है।
पिछले दो साल में 9 राज्यों के 30 से ज्यादा जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को बड़े अधिकार दिए गए हैं। डीएम को तीन देशों से आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं। नागरिकता गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक इन गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई है। जिन 9 राज्यों में नागरिकता दी गई है, वे गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र हैं।
देखा जाय तो नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगा। जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले आकर भारत में बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों।
बताया जाता है आवेदन करने पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नागरिकता से जुड़े जितने भी ऐसे मामले पेंडिंग हैं वे सब ऑनलाइन कन्वर्ट किए जाएंगे। पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। उसके बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा और नागरिकता जारी कर देगा।
विपक्ष का कहना है कि इस कानून के जरिए खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। वे जानबूझकर अवैध घोषित किए जा सकते हैं। वहीं, बिना वैध दस्तावेजों के भी बाकियों को जगह मिल सकती है। विपक्ष का तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो समानता के अधिकार की बात करता है। हालांकि पूर्वोत्तर के पास अलग वजह है। वे मानते हैं कि अगर बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिली, तो उनके राज्य के संसाधन बंट जाएंगे। एक बड़ा वर्ग यह भी कहता है कि पूर्वोत्तर के मूल लोगों के सामने पहचान और आजीविका का संकट पैदा हो जाएगा। पूर्वोत्तर के मूल निवासी यानी वहां बसे आदिवासी लोग सीएए के विरोध में हैं। इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा शामिल हैं। इन सातों राज्यों के मूल लोग सजातीय हैं। इनका खानपान और कल्चर काफी हद तक मिलता है। लेकिन कुछ दशकों से यहां दूसरे देशों से अल्पसंख्यक समुदाय भी आकर बसने लगा। खासकर बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक बंगाली यहां आने लगे।
इस समय नॉर्थ-ईस्ट अल्पसंख्यक बंगाली हिंदुओं का गढ़ बन गया है। इसकी वजह भी सामने आई है। दरअसल, पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से में बड़ी संख्या संख्या में बंगाली भाषी बसे हुए थे, जिन पर लगातार हिंसा हो रही थी। वहां युद्ध हुआ और बांग्लादेश बन गया। लेकिन, कुछ ही समय में बांग्लादेश में भी हिंदू बंगालियों पर अत्याचार होने लगे, क्योंकि ये देश भी मुस्लिम बहुसंख्यक है। पाकिस्तान और बांग्लादेश में अत्याचार से परेशान होकर लोगों ने पलायन शुरू कर दिया और भागकर भारत आने लगे। इन लोगों को वैसे तो अलग-अलग राज्यों में बसाया जा रहा था, लेकिन पूर्वोत्तर का कल्चर इन्हें अपने ज्यादा करीब लगा और वे वहीं बसने लगे। चूंकि पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा बांग्लादेश से सटी हुई है इसलिए भी वहां से लोग आते हैं।
ध्यान देने योग्य बातें यह भी है कि इस कानून के लागू होने से क्या क्या क्या बदल जाएगा? सो मेघालय में वैसे तो गारो और जैंतिया जैसी ट्राइब मूल निवासी हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों के आने के बाद वे पीछे रहे गए। हर जगह माइनोरिटी का दबदबा हो गया। इसी तरह त्रिपुरा में बोरोक समुदाय मूल निवासी है, लेकिन वहां भी बंगाली शरणार्थी भर चुके हैं। यहां तक कि सरकारी नौकरियों में बड़े पद भी उनके ही पास जा चुके हैं। अब अगर सीएए लागू होता है तो मूल निवासियों की बचीखुची ताकत भी चली जाएगी। दूसरे देशों से आकर बसे हुए अल्पसंख्यक उनके संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे। यही डर है, जिसकी वजह से पूर्वोत्तर सीएए का भारी विरोध कर रहा है।
बताया जाता है कि असम में 20 लाख से ज्यादा हिंदू बांग्लादेशी अवैध रूप से निवास कर रहे हैं। यह दावा साल 2019 में वहां के स्थानीय संगठन कृषक मुक्ति संग्राम कमेटी ने किया था। यही हालात बाकी राज्यों के हैं। नागरिकता के लेने के लिए कानूनन भारत की कम से कम 11 साल तक देश में रहना जरूरी है। लेकिन, नागरिकता संशोधन कानून में इन तीन देशों के गैर-मुस्लिमों को 11 साल की बजाय 6 साल रहने पर ही नागरिकता दे दी जाएगी। बाकी दूसरे देशों के लोगों को 11 साल का वक्त भारत में गुजारना होगा, भले ही फिर वो किसी भी धर्म के हों।
चुनाव पूर्व इसे लागू करना इस लिए भी जरुरी है क्योकि CAA लागू करना भाजपा की प्रतिबद्धता में शामिल है। पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सीएए लागू करेगी और इसे कोई भी रोक नहीं सकता है। शाह की इस टिप्पणी को तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना माना गया, जो सीएए का जबरदस्त विरोध करती रही हैं। शाह ने कोलकाता में एक रैली में घुसपैठ, भ्रष्टाचार, राजनीतिक हिंसा और तुष्टीकरण के मुद्दों पर ममता बनर्जी के खिलाफ तीखे हमले किए थे और लोगों से टीएमसी की सरकार को बंगाल से हटाने और 2026 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिताने की अपील की थी। सीएए को लागू करने का वादा पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था सो जो अब तक नहीं हो सका सो अब 2024 के चुनाव के पूर्व होने की प्रबल संभावना बन गई है ।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
AD dharti Putra
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES