ओम जैन
स्मार्ट हलचल/अपने गौरवशाली इतिहास और दुर्ग के साथ प्राकृतिक सौंदर्य भी चितौड़गढ़ की पहचान व विरासत है। चित्तौड़ शहर उन गिने चुने शहरों की सूची में शामिल है जहां शहर के बीच से दो नदिया गुजरती है और उनका संगम भी यही होता है। इन नदियो का पवित्र जल शहर के लोगो की पानी की आवश्यकता पूर्ति करता है, एवं कई धर्म के लोग यहाँ पूजा आरती करने भी समय समय पर आते रहते है, लेकिन चित्तौड़ शहर की गंगा ”गंभीरी नदी” में सैकड़ो टन प्लॉस्टिक प्रवाहित होता नज़र आ रहा है। नदी का किनारा मिट्टी के बजाय प्लास्टिक का गढ़ बन गया है जिससे नदी में फैलते प्लास्टिक प्रदूषण से पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुँच रही है साथ ही नदियो के किनारे और जल निकायों में जलीय जीवन पर इसका असर पड़ रहा है, विशेष बात यह कि यह नदी कलेक्ट्रेट से मात्र 500 मीटर कि दूरी से ही होकर गुजर रही, जहाँ दिन में कई जिला स्तरीय अधिकारी, जिला कलेक्टर सहित सभी जनप्रतिनिधि भी यही से होकर गुजरते है, बावजूद इसके यह अनदेखी का शिकार हो रही है।
बढ़ते प्लास्टिक और इनसे होने वाले प्रदूषण की रोकथाम हेतु शहर के जागरूक युवा दीपक राज़ोरा चीनू, गोविंद ईनानी, हरीश वेद, केशव माहेश्वरी ने ज़िला कलेक्टर चित्तौड़गढ़ का इस ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु निवेदन किया।
इस संबंध में दीपक राजोरा ने बताया कि नई पुलिया के पास नदी के किनारे से सटे ईनानी सीटी सेंटर पर आये दिन मनोरंजन, राजनीतिक, सामाजिक संबंधी इवेंट, मेले, कार्यक्रम होते रहते है जहाँ पर उपयोग किया गया सैंकड़ो टन प्लॉस्टिक कचरा सीधे तौर पर नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। इन इवेंट और कार्यक्रम के बाद उक्त जगह पर सैंकड़ो टन प्लास्टिक एकत्रित होता है जिसे गोवंश तो खाते ही है साथ ही साथ उसी कचरे को बाद मे नदी में डाल दिया जाता है। जिससे नदी में पानी से ज्यादा प्लास्टिक कचरा देखने को मिल रहा है। नदी में घुलते इस ज़हर को सरकार और प्रशासन द्वारा अनदेखा किया जा रहा है। एक और जहाँ सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान और नमामि गंगे जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है वही दूसरी ओर इन कार्यक्रमों और योजनाओं का असर शहर की नदी पर नज़र नहीं आ रहा है।
इस संबंध में गोविंद इनानी ने बताया कि अगर इस प्लॉस्टिक कचरे को फैलाने वालों पर सख्त कार्यवाही कर इन्हें नहीं रोका गया तो हमे भविष्य में पर्यावरण संबंधी ख़तरों को झेलना पड़ेगा। इसके साथ ही नदी पर बने घाटों की सुध ली जाकर उनकी मरम्मत की जाये और साफ़ सफ़ाई की व्यवस्था की जाये। इस कड़ी में युवाओं ने शहरवासियो से आव्हान किया की वह आगे आकर कड़े कदम उठाकर नदी की साफ़ सफ़ाई में अपना योगदान दे।