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कानपुर में मेडिकल कालेज की जमीन पर बिल्डर का होटल बनवाने को लेकर चर्चा में 11 करोड़, मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग

– मेडिकल कॉलेज की बताई जा रही करोड़ों की जमीन, चर्चा में प्राचार्य

सुनील बाजपेई
कानपुर। स्मार्ट हलचल|यहां के जीटी रोड स्थित करोड़ों की जमीन पर बिल्डर का अवैध रूप आलीशान होटल बनवा दिया गया। इसके लिए 11 करोड रुपए खर्च किए जाने के लिए चर्चा है। मामले में मुख्यमंत्री से कार्रवाई की भी मांग की गई है।
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक यह जमीन जीएस वी एम मेडिकल कॉलेज की बताई जाती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आर्थिक लाभ के लिए जनहित के खिलाफ भ्रष्टाचार का अक्षम्य अपराध मात्र कुछ के लिए नहीं बल्कि करोड़ों के लाभ में सफलता से जुड़ा है और जब कोई लाभ करोड़ों से जुड़ा होता है तो यह सब किसी एक के बस की बात नहीं होती। और लोग सहयोग भी तभी प्रदान करते हैं ,जब उन्हें इसमें अपना भी बड़ा फायदा होने वाला होता है।
कुल मिलाकर मेडिकल कॉलेज की करोड़ों की बताई जाने वाली सरकारी जमीन पर एक प्रभावशाली बिल्डर द्वारा बड़े होटल का निर्माण चर्चा का विषय बना हुआ है ,जिसका केंद्र बिंदु बताए जाते हैं, मेडिकल कॉलेज के एक बड़े पदाधिकारी।
विभागीय सूत्रों का दावा है कि लगभग 11 करोड़ लेकर करोड़ों की सरकारी जमीन पर बिल्डर का कब्जा करवा कर उसका होटल बनवाने में मेडिकल कॉलेज के इस बड़े पदाधिकारी ने चालाकी पूर्ण गुल खिलाया है।अगर महाभारत के संजय की नजर से देखा जाए तो उससे यही साबित होता है कि इस चर्चित आर्थिक भ्रष्टाचार की दाल में काला ही काला है।
सूत्र इस मामले में जांच के भी शुरू होने का दावा करते हैं। इसी क्रम में मेडिकल कॉलेज की जमीन पर होटल निर्माण और उसके संचालन को भी लेकर अनेक सवाल चर्चा का विषय बने हुए हैं। मसलन जब जमीन जीएसबीएम मेडिकल कॉलेज की है तो उस पर होटल का निर्माण का निर्माण कैसे हो गया ? मेडिकल कॉलेज की जमीन को इस तरह के अवैध कब्जे से बचाने की जिम्मेदारी किसकी थी ? उसने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन क्यों नहीं किया ? क्या मेडिकल कॉलेज की जमीन पर होटल का निर्माण कराने में उस जिम्मेदार बड़े पदाधिकारी की भी मिली भगत है। अगर नहीं तो उसने मेडिकल कॉलेज की जमीन पर होटल निर्माण करने वालों के खिलाफ एफ आई दर्ज क्यों नहीं कराई ? मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के जिम्मेदार बड़े अधिकारियों को अवगत क्यों नहीं कराया ? और अगर अवगत कराया तो फिर अवैध होटल निर्माण को ध्वस्त करके मेडिकल कॉलेज की जमीन को अब तक अवैध कब्जे से मुक्त क्यों नहीं कराया गया ? अगर मेडिकल कॉलेज की जमीन पर अवैध रूप से होटल निर्माण में अन्य प्रभावशाली लोगों की भी मिली भगत है तो उनके भी चेहरे अब तक बेनकाब क्यों नहीं किए गए ? अगर उन्होंने मेडिकल कॉलेज की जमीन पर अवैध रूप से होटल निर्माण में कथित बिल्डर का सहयोग किया तो नि : शुल्क किया या फिर कुछ लेकर। अगर निःशुल्क सहयोग किया तो क्यों किया और अगर पैसा लेकर किया तो फिर कितना लिया ?
जानकार सूत्रों की माने तो यहां मेडिकल कॉलेज की जिस वेश कीमती जमीन की चर्चा की जा रही है। उसके लिए 15 – 20 करोड रुपए तो कोई भी बड़ी आसानी से खर्च कर देगा तो फिर होटल निर्माण और उसके संचालन में भी सफलता प्राप्त करने वाले ने कितना खर्च किया ? और इसमें शामिल अन्य लोगों को भी कितना कितना आर्थिक लाभ मिला ? जनहित के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारियों या फिर राजनीति से जुड़े प्रभावशाली लोगों ने और भी अपने निहित आर्थिक स्वार्थ के लिए मेडिकल कॉलेज की जमीन पर होटल बनवाने जैसे और भी क्या-क्या गुल खिलाए हैं? भ्रष्टाचार के इन हथकंडों के फलस्वरूप ऐसे लोगों की नामी – बेनामी चल – अचल संपत्ति दुकानों ,मकानों, भूखंडों जेवरातों या फिर छदम नामों से बैंक बैलेंस के रूप में भी कितने करोड़ की हो चुकी है या फिर है ?
जानकार विभागीय सूत्रों के दावे के मुताबिक अगर मामला मेडिकल कॉलेज की जमीन से जुड़ा हुआ है तो इस तरह के तमाम सवालों के जवाब प्राचार्य डॉक्टर संजय काला के अलावा और कौन दे सकता है ?
वहीं दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज की जमीन पर अवैध रूप से होटल निर्माण के चर्चित मामले से अवगत पार्टी और जनता के हित में किए गए अनगिनत कार्यों और आंदोलनों को लेकर चर्चा में रहे भाजपा पार्षद दल के तेजतर्रार व्यवहार कुशल और जुझारू नेता नवीन पंडित ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करा कर दोषी जनों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई किए जाने की जोरदार मांग भी की है। उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर जरूरत पड़ी तो जनहित में इस भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई होने तक आंदोलन भी किया जाएगा।
इसी तरह से जीटी रोड स्थित इस जमीन पर करोड़ों की रिश्वत लेकर बिल्डर का लेकर होटल बनवाने के खिलाफ जन अधिकार समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जांच की मांग की है लेकिन क्या वास्तव में ऐसा कुछ हो पाएगा या फिर कोई ना कोई हथकंडा दोषियों के पक्ष में सफलता दिलाएगा। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

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