मुकेश खटीक
मंगरोप।हमीरगढ़ कस्बे के राजकीय शास्त्री संस्कृत कॉलेज में 100 छात्र-छात्राओं का भविष्य मात्र एक प्रोफेसर पर टिका हुआ है।जबकी सरकार हर क्षेत्र में संस्कृत कॉलेज की स्थापना करके संस्कृत भाषा कों बढ़ावा देने के दावे ठोक रही है।वहीं एक साल पहले शुरू हुए कॉलेज में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्तियां अब तक भी नहीं हों पाई है।पिछले एक साल से बच्चों के भविष्य पर प्रशासन की लापरवाही की तलवार लटकी हुई है।मजबूरन छात्र-छात्राओं कों शहरी क्षेत्रों में कोचिंग के लिए जाना पड़ रहा है।अनावश्यक राशि का व्यय करना पड़ रहा है शनिवार कों छात्रों ने दो घण्टे प्रदर्शन कर प्राचार्य कों ज्ञापन देकर अपनी मूलभूत समस्याओं से अवगत करवाया।कस्बे में संस्कृत कॉलेज शुरुआत गत वर्ष जुलाई में की गई थी और आसपास के क्षेत्र में एकमात्र संस्कृत कॉलेज है।संस्कृत भाषा का ज्ञान अर्जित करने वाले छात्रों कों भारी चुनौतीयों का सामना करना पड़ रहा है।कॉलेज में अपर्याप्त प्रोफेसर होने से शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधेरे में हिचकोले खा रहा है।कॉलेज सत्र के शुरुआती दिनों से ही कॉलेज में मुख्य विषयों हिंदी साहित्य,साहित्य शास्त्र,संस्कृत वांगमय,व्याकरण शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य जैसे विषयों के प्रोफेसर नहीं है। छात्रों कों अन्यत्र कोचिंग सेंटर जाकर पढ़ाई करने कों मजबूर होना पड़ रहा है।अभिभावकों का कहना है की प्रशासन ने कस्बे में संस्कृत कॉलेज खोलकर महज खाना पूर्ति की है बच्चों कों संस्कृत शिक्षा का असल लाभ नहीं मिल पाना दुर्भाग्यपूर्ण है।प्रशासन द्वारा उक्त रिक्त पदों पर 15 दिनों के भीतर नियुक्तियां नहीं की गई तों मजबूरन कॉलेज गेट पर तालाबंदी करके उग्र प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।