Homeराज्यउत्तर प्रदेशकानपुर के एतिहासिक होली गंगा मेले में चले हास्य- व्यंग के तीर

कानपुर के एतिहासिक होली गंगा मेले में चले हास्य- व्यंग के तीर

कानपुर के एतिहासिक होली गंगा मेले में चले हास्य- व्यंग के तीर

कानपुर।स्मार्ट हलचल/यहां आज शनिवार को सरसैया घाट पर लगने वाले एतिहासिक होली गंगा मेले के दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियों ,पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर बुरा ना मानो होली है के उद्घोष के साथ चलाये गये हास्य – व्यंग के तीरों की बानगी कुछ इस तरह से रही।

-जन प्रतिनिधि-

सत्य देव पचौरीः
मैं भी इतना खेला खाया।
फिर भी उसको दिला ना पाया ॥
सहन नहीं कर पाऊंगा।
जमकर उसे हराऊंगा।।

रमेश अवस्थी :
किसको नहीं सत्य का बोध।
अंदर – अंदर बहुत विरोध॥
रोक कहां हम पायेंगे।
लगता मुझे हरायेंगे॥

आलोक मिश्रा :
कौन मार्ग भाई अपनाए।
जिससे विजय श्री मिल जाए॥

देवेन्द्र भोले :
हम तो सत्य बताएंगे।
सच में हमें हराएंगे।।
भाग्य प्रबल ने था जितवाया।
अब नंबर ना आये भाया।।

राजा रामपाल :
कठिन जीत का खेला है।
पहले भी खूब पेला है।।

सतीश महाना:
भाई सत्य बताना है।
मतलब उसे हराना है

अरुण पाठक :
मै भी करता जाता हूं।
शेष बचा वह खाता हूं॥

प्रकाश पाल :
मुझको भी तो समझो यार।
सीट का मतलब कई हजार॥

मानवेंद्र सिंह
समझ कहां वे आते हैं।
जो काम से दाम बनाते हैं।।

श्री प्रकाश जायसवाल :
नहीं कभी अब पाना है।
केवल ठोकर खाना है।।

महेश त्रिवेदीः
मेरी सत्ता, मेरा खेल |
सच में रहा करोड़ों पेल॥

अजय कपूर:
छोड़ चुका हूं उनका हाथ।
अब क्या किस्मत देगी साथ।।

सुरेन्द्र मैथानी:
मुझको भी यह ज्ञान है।
किसका रखना ध्यान है ॥

रघुनन्दन भदौरिया :
कभी जीत ना अब तो हार।
शेष बचा मौरंग व्यापार।।

अभिजीत सांगाः
भइया हम तो खुला बताते।
मिटटी से भी बहुत कमाते॥

नीलिमा कटियारः
मैं भी भाई सत्य बताऊं।
अंदर ही अंदर खा जाऊं॥

सलिल विश्नोई:
भूल ना पाऊं भाई हार।
ऊपर से लाठी की मार॥

राहुल बच्चा सोनकरः
भाई मैं भी सत्य बताऊं।
बड़े जतन काम बनाऊं॥

प्रतिभा शुक्ला :
है चालाकी उनसे मेल।
मेरा भी तगड़ा है खेल॥

भगवती सागरः
झूठ नहीं ईश्वर बुलवाये।
है जुगाड़ से बहुत कमाये ॥

अमिताभ बाजपेईः
मुश्किल से फिर पाई यार।
काफी कुछ देता हूं मार॥

इरफान सोलंकी:
खत्म हो गया मेरा खेल।
बची जिंदगी ,रहना जेल॥

मो. हसन रूमीः
भाई सच यह बता रहा हूं।
सीट के बल पर कमा रहा हूं॥

कमिश्नरेट पुलिस
——————-
एडीजी जोन:
निज कर्तव्य निभाना आये।
ईश्वर केवल शुभ करवाये॥
ठाना वह कर जाते हैं।
पग पीछे नहीं हटाते हैं॥

पुलिस कमिश्नरः
सेवा धर्म निभाते जाते।
जनहित राह सदा अपनाते।।
क्रिमिनल गर्दन रहे मरोड़।
इनका नहीं कोई है जोड़।।

जेसीपी एल ओ :
नई राह पुराना खेल
रखना आए सच से मेल

जेसीपी हेड क्वाटर ः
समझ ना पाऊं।
क्या कर जाऊं॥

आई जी रेंजः
जिनसे – जिनसे नाता है।
काफी कुछ हो जाता है।I

डीसीपी साउथ :
कुछ तो किए जाना है।
बस ऐसे ही पाना है॥

डीसीपी पश्चिम :
बस करते ही जाते हैं।
सोचो क्या कुछ पाते हैं॥

डीसीपी पूर्वी :
ईश्वर काम बनाता है।
काफी कुछ हो जाता है।।

डी सी पी सेंट्रल :
अपना है कर्तव्य निभाना।
जैसे भी हो काम बनाना॥

डी सी पी ट्राफिक ः
सच कहते हैं मेरे भाई।
कई कर रहे बहुत कमाई॥

डी सी पी क्राइम ः
कैसे पाऊं भाई पार।
कुछ अच्छी, बाकी बेकार।।

डीसीपी हेड क्वाटर ः
मेरी तो कुछ समझ ना आये।
जो चाहे ईश्वर करवाये॥

—-जिला प्रशासन—-

कमिश्नर प्रशासन :
आगे बढ़ कर पाना है।
काफी कुछ कर जाना है।।

जिलाधिकारी:
सम्भव सभी कराते जाना।
पता नहीं नंबर कब आना।।

वी सी केडीए:
दिल तो मेरा सत्य बताये।
अक्सर लाख करोड़ दिखाये।।

आयुक्त नगर निगम:
जबतक भाई न जाऊंगा।
तब तक खुला कमाऊंगा।।

एडीएम सिटी:
बहुत मजे हैं मेरे यार।
मौका मिलते देता मार।।

ए डी एम राशनिंग:
मेरी बात झूठ ना भाई।
कई लाख हर माह कमाई।।

डी एस ओ :
मेरा भाई नहीं है जोड़।
हर माह लगभग सवा करोड़।।

एम डी केस्को:
सत्य समझ तू भाई जाये।
कुर्सी कई करोड़ दिलाये।।

आर टी ओ :
मेरे आगे सारे फेल।
मेरा भी लाखों में खेल।।

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