Homeभीलवाड़ाजहाजपुर में प्रशासनिक दादागिरी! जिसने पत्थरगढी का आदेश दिया, उसी ने जेसीबी...

जहाजपुर में प्रशासनिक दादागिरी! जिसने पत्थरगढी का आदेश दिया, उसी ने जेसीबी चलवाकर खातेदारी फसल रौंदी किसानों को बुलाया दफ्तर, पीछे से खेत उजाड़ा, खातेदार की जमीन में से दबाव में निकाला रास्ता

शाहपुरा / जहाजपुर । जहाजपुर तहसील के ग्राम लुन्दा का झोपड़ा (पटवार हल्का लुहारी कला) में प्रशासन की एकतरफा और दबंगई से भरी कार्रवाई ने राजस्व विभाग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूरा मामला खसरा संख्या 133 और 133/1 से जुड़ा है, जिसमें पहले सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रास्ता बंद कर दिया गया और अब प्रशासन ने उल्टा खातेदार की निजी भूमि में से रास्ता निकालकर खड़ी फसल को जेसीबी से तबाह कर दिया। ग्रामवासियों और पीड़ित खातेदारों का आरोप है कि जिस अधिकारी ने वर्ष 2020 में पत्थरगढी करवाई थी, उसी ने अब उसी चारदीवारी को खुद ही तोड़वा कर खातेदारी भूमि में जेसीबी चलवाई। सबसे बड़ी हैरानी यह रही कि काश्तकार को उपखंड कार्यालय बुलाया गया और उसकी गैरमौजूदगी में पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में जेसीबी से खेत उजाड़ दिया गया।

खसरा संख्या 133 जो कि राजस्व रिकॉर्ड में गैर काबिल काश्त (सरकारी रास्ता) है, उस पर श्री सोजीराम, शिवराज और सुशीला उर्फ छोटी ने अवैध रूप से कब्जा कर मकान और बाड़ा बना लिया, जिससे गांव का परंपरागत रास्ता बंद हो गया। इस पर तहसीलदार जहाजपुर ने 9 जून 2025 को भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 के तहत सोजीराम व अन्य कुछ व्यक्तियों को नोटिस दिया, लेकिन आज तक किसी के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। आश्चर्य की बात यह रही कि सुशीला उर्फ छोटी, जिसके निर्माण खसरा 133 पर हैं, को तो नोटिस तक नहीं दिया गया। दूसरी ओर, तहसीलदार ने दिनांक 28 जुलाई 2025 को खातेदारी भूमि खसरा संख्या 133/1 में, जिसमें उड़द की खड़ी फसल थी, जेसीबी चलवाकर उत्तर और दक्षिण दिशा में पत्थर की चारदीवारी को तुड़वा दिया और जबरन रास्ता निकाल दिया। यह कार्यवाही उस अधिकारी की देखरेख में हुई, जिसने पहले खुद पत्थरगढी का आदेश दिया था, जिससे यह कार्रवाई संदेह के घेरे में आ गई है।
ग्रामीणों के अनुसार, कार्यवाही सुनियोजित थी — काश्तकार को उपखंड कार्यालय बुलाकर अनुपस्थित कराया गया और पीछे से पुलिस बल के साथ प्रशासन ने खेत उजाड़ दिया। चार जगह से पत्थरगढी हटाए जाने के कारण आवारा पशु खेत में घुस आए और करीब 8 बीघा में खड़ी उड़द की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। इससे पूर्व, 20 जून 2020 को उपखंड अधिकारी के आदेश क्रमांक 271/15 दिनांक 29.10.2015 व तहसीलदार आदेश क्रमांक 728 दिनांक 02.06.2016 के तहत सीमांकन कर पत्थरगढी की गई थी, किंतु पूर्व दिशा का मापन अधूरा रह गया। ग्रामीणों की आपत्ति पर 8 मार्च 2022 को दोबारा मापन के आदेश जारी हुए, लेकिन आज तक उनकी पालना नहीं हुई। इसके विपरीत, बिना सुनवाई, बिना सूचना और बिना मुआवजा प्रक्रिया के खातेदार की भूमि पर कार्यवाही कर दी गई।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह कार्यवाही पूरी तरह से राजनीतिक दबाव में की गई, जिसमें वास्तविक अतिक्रमणकारियों को बचाते हुए पीड़ित किसानों की जमीन पर कार्यवाही की गई। सेटेलाइट इमेज और मौके की तस्वीरों से भी यह स्पष्ट है कि खसरा 133 में बने अवैध निर्माण जस के तस हैं, और खातेदारी भूमि को ही लक्ष्य बनाया गया। किसान संगठनों और पीड़ित परिवारों ने मांग की है कि तहसीलदार द्वारा की गई इस गैरकानूनी कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए, खातेदारों को अपनी भूमि की सुरक्षा हेतु पत्थर कोट व तारबंदी की अनुमति दी जाए, उड़द की नष्ट हुई फसल का उचित मुआवजा दिलाया जाए, खसरा संख्या 133 से अवैध कब्जा हटाकर रास्ता पुनः खोला जाए और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर तहसीलदार सहित संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
यह मामला प्रशासनिक पक्षपात, किसान विरोधी मानसिकता और सत्ता के दबाव में हो रही भूमिकीय अत्याचार की जीती-जागती मिसाल बन गया है। सवाल उठना लाजमी है कि क्या अब किसानों की मेहनत की फसलें जेसीबी से रौंदी जाएंगी? क्या प्रशासन ही पत्थरगढी कर सीमांकन करेगा और वही उसे तोड़कर रास्ता निकालेगा? क्या कानून सिर्फ दबंगों के लिए है, गरीब किसानों के लिए नहीं?

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
AD dharti Putra
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES