नीमराना |स्मार्ट हलचल/जयपुर से आऐ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तीन सदस्यीय दल ने कभी कस्बे की ऐतिहासिक नौ मंजिला भूमिगत बावड़ी का निरीक्षण किया था। दल ने बावड़ी के राष्ट्रीय स्मारक क्षेत्र में एएसआई के नियम कानूनों का विवरण लिखे हुए बोर्ड लगवाए गए थे उस वक्त बावड़ी को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों में शुमार किया गया था । बावड़ी के आसपास 100 मीटर तक अब कोई भी निर्माण कार्य बिना सक्षम स्वीकृति के नहीं हो सकेंगे इस संबंध में विभाग द्वारा बोर्ड लगाए गए थे। एएसआई विभाग जयपुर के तत्कालीन उप अधीक्षक डॉ कंवर सिंह के नेतृत्व में आए दल के साथ यूआईटी के सहायक अभियंता राजेश यादव, हल्का पटवारी दिलबाग सिंह गोठवाल, वरिष्ठ सहायक रतन जीतर वाल, सर्वेयर रविंद्र जांगिड़ आदि उस समय मौजूद रहे थे। बाद में दल ने तत्कालीन उपखंड अधिकारी अशोक कुमार त्यागी से भी मुलाकात की थी। तत्कालीन एसडीएम त्यागी ने तब ऐतिहासिक बावड़ी पर भारतीय पुरातत्व विभाग के दल द्वारा सूचना के बोर्ड लगाए गए थे। जिसके तहत बावड़ी के 100 मीटर क्षेत्र में कोई भी निर्माण कार्य बिना सक्षम स्वीकृति के नहीं किया जा सकता इस बाबत जानकारी दी गई थी। किसी प्रकार का निर्माण न हो इसके लिए तत्कालीन तहसीलदार एवं पटवारी सहित तत्कालीन ग्राम पंचायत को भी पाबंद किया गया था।
लेकिन क्षेत्र में बढ़ी जमीनों की कीमतों से भूमाफियाओं की नजर बावड़ी के आसपास की भूमि पर पड़ी और जमीनों की अवैध खरीद फरोख्त बढ़ी और बावड़ी के आस पास की प्रतिबंधित जमीन की बंदरबाट का खेल शुरू हो गया और इसमें स्थानीय प्रशासन ने भी अपनी महता भूमिका निभाई आज भी प्रतिबंधित जमीन की बंदरबाट बदस्तूर जारी है