नरेगा में बन रही 14 लाख की सड़क संदेह के घेरे में !
– जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की जुगलबंदी से मज़दूरों की जगह मशीनों से बन रही सीसी सड़क
– ग्राम पंचायत गामडा ब्राह्मणिया का मामला, ज़िम्मेदारों ने साधी चुप्पी
– Case of Gram Panchayat Gamda Brahmania, responsible people kept silence
रितिक मेहता
डूंगरपुर, स्मार्ट हलचल। जिले के सागवाडा पंचायत समिति में पंचायत राज विभाग में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों की जुगलबंदी के चलते मनरेगा का काम मजदूरों की बजाय मशीनों से कराया जा रहा है। सागवाडा क्षेत्र में चल रहे मनरेगा योजनाओं के कार्य में मशीनों का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। यही नहीं निर्माण सामग्री के उपयोग में भी धांधली की जा रही है। नियमानुसार क्रेशर गिट्टी की जगह नदी के बड़े पत्थर , रेत और मिट्टी वाली गिट्टी का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है लेकिन अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
ऐसे में स्थानीय मजदूरों को काम नहीं मिलने से वे बेरोजगार रहते हैं। साथ ही सड़क टिकाऊ नहीं बन पाती है और योजना का मकसद भी पूरा नहीं हो पाता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना का मकसद स्थानीय स्तर के कामों के जरिये ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है, लेकिन योजना का क्रियान्वयन कराने वाले कार्मिक ही जब लापरवाही बरतेंगे तो सरकार की मंशा कैसे साकार होगी।
ऐसा ही एक मामला गामडा ब्राह्मणिया में सामने आया है। जहां नरेगा की सड़क मशीनों से बाहरी मज़दूर बना रहे थे, उसमें नदी की गिट्टी का उपयोग हो रहा था। ऐसा भी नहीं है कि इसकी जानकारी सचिव और जेटीए को नहीं थी। उन्हें इसकी जानकारी मिलने के बाद भी मौक़े पर काम जारी रहा। महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी योजना के तहत सागवाडा पंचायत समिति की गामडा ब्राह्मणिया पंचायत में इन दिनों 14 लाख रूपये की लागत से सीसी सडक का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें गांव के लैंपस गोदाम से किशोर के बोर होते हुए मुख्य सड़क तक सीसी सडक बनाई जा रही है। सूत्रों की मानें तो इस निर्माण में बड़े जन प्रतिनिधि का हाथ होने से ना तो यहाँ सचिव मौजूद था और न ही कोई तकनीकी अधिकारी देख रेख कर रहा था। मनरेगा योजना में इतनी बड़ी लापरवाही की जा रही है मगर अधिकारियों की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। श्रमिकों का काम मशीनों व बाहरी मजदूरों से कराने से क्षेत्र में बेरोजगारी तो बढ़ेगी ही, लेकिन इसके साथ ही सरकारी कार्यालयों में अराजकता भी बढ़ने की सम्भावना भी खड़ी हो जाती है। वहीं अभियंता कार्यस्थल का निरीक्षण किए बिना ही काम पास करते हैं। इधर, जब मीडिया के माध्यम से ऐसी कोई जानकारी अधिकारियों के सामने लाई जाती है तो वे सिर्फ़ जाँच कराने की बात करते हैं लेकिन दोषियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती है। ऐसे में सब की मिली भगत होने की पुष्टि होती है।