जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025
साहित्य और विचारों का महाकुंभ आज से , 30 जनवरी से 3 फरवरी तक आयोजन ,देश विदेश से आयेंगे लेखक ,कलाप्रेमी .
• फेस्टिवल की थीम विचारों और किताबों पर आधारित
• दुनियाभर के बुक लवर्स के बीच होंगे शानदार संवाद सत्र,
• 5 दिन का यह उत्सव 3 फरवरी तक होटल क्लार्क्स आमेर में होगा
नितेश शर्मा
स्मार्ट हलचल/धरती के सबसे बड़े साहित्य उत्सव’ के रूप में प्रसिद्ध जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल अपने 18वें संस्करण के साथ फिर से साहित्य प्रेमियों को लुभाने के लिए तैयार है। उत्सव का आयोजन होटल क्लार्क्स आमेर, जयपुर में 30 जनवरी से 3 फरवरी, 2025 तक किया जाएगा। भारत की अग्रणी क्यूरेशन कंपनी एवं फेस्टिवल प्रोड्यूसर टीमवर्क आर्ट्स ने उत्सव के दौरान आयोजित किए जाने वाले संवाद सत्रों की सूची जारी कर दी है। ये सत्र एक बार फिर पुस्तकों एवं विचारों की परिवर्तनकारी ताकत को मजबूती से प्रदर्शित करते नजर आएंगे।
समृद्ध विरासत के साथ यह उत्सव स्थानीय एवं वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधि स्वरों के लिए महत्वपूर्ण मंच रहा है। आगामी संस्करण में बहुत सावधानी से तैयार किए गए लाइनअप के साथ संवाद सत्रों का आयोजन किया जाएगा, वैचारिक विभाजन को खत्म किया जाएगा और विभिन्न अवधारणाओं को सामने रखा जाएगा। 300 से ज्यादा प्रतिष्ठित वक्ताओं के साथ इस साल उत्सव में वाद-विवाद, परिचर्चा एवं कहानियां सुनने का मौका मिलेगा।
• हम मरते क्यों हैं: बढ़ती उम्र का नया विज्ञान और अमरता की चाहत
नोबेल पुरस्कार विजेता और संरचनात्मक जीवविज्ञानी (स्ट्रक्चरल बायोलॉजिस्ट) वेंकी रामकृष्णन की नई किताब ‘व्हाई वी डाई’ (हम मरते क्यों हैं) मृत्यु के प्रति मानवीय आकर्षण एवं भय को रेखांकित करती है। जीव विज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान की सीमाओं से परे जाते हुए रामकृष्णन मृत्यु दर एवं मानव शरीर विज्ञान के भीतर होने वाले परिवर्तनों पर सवाल उठाते हैं। रोजर हाईफील्ड के साथ बातचीत में रामकृष्णन मानव अस्तित्व के ‘चीट कोड’ और अमरता की खोज का मूल्यांकन करते नजर आएंगे।
• दो ऋषि: गांधी एवं टॉल्सटॉय
महात्मा गांधी और लियो टॉल्स्टॉय समकालीन थे और उनके बीच लंबी दोस्ती रही थी। वे दोनों कभी व्यक्तिगत रूप से मिले नहीं थे, फिर भी उनमें पत्रों का आदान-प्रदान रहता था। टॉल्स्टॉय की पुस्तक द किंगडम ऑफ गॉड इज विदिन यू से गांधी बहुत प्रभावित थे। इस सम्मोहक सत्र में उनके वंशज व दो प्रतिष्ठित विचारक गोपालकृष्ण गांधी और डेनियल टॉल्स्टॉय विचारों की विरासत पर बात करेंगे और अतीत एवं वर्तमान में उनकी प्रासंगिकता पर विमर्श करेंगे।
• डीप वाटर: महासागर में दुनिया
समुद्र के साथ मानवता के जटिल संबंधों की व्यापक खोज करती लेखक जेम्स ब्रैडली की नवीनतम पुस्तक ‘डीप वॉटर’ जीवन के पालने, इतिहास की निर्णायक शक्ति एवं एक नाजुक जीवन रेखा के रूप में महासागर की भूमिका पर बात करती है। मृदुला रमेश, भारत में ऑस्ट्रेलियाई राजदूत फिलिप ग्रीन एवं पर्यावरणविद् युवान एवेस के साथ बातचीत में ब्रैडली इस पर्यावरणीय आवश्यकता और मानवता व पृथ्वी के बीच के अंतर्संबंधों पर चर्चा करेंगे।
• लॉन्ग एंड द शॉर्ट
क्या संक्षिप्त होना ही बुद्धि की आत्मा है? क्या गंभीरता के लिए लम्बाई आवश्यक है? लेखन के विभिन्न रूपों के साथ किस तरह की चुनौतियां एवं सहूलियतें आती हैं? जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-निदेशक और पुरस्कार विजेता लेखिका नमिता गोखले और लूसी कैलड्वेल महाकाव्य गाथाओं एवं बड़े उपन्यासों के रूप में दीर्घ-रूप लेखन (लॉन्ग फॉर्म राइटिंग) और लघु कथाओं, फ्लैश फिक्शन एवं छोटी पुस्तकों की विपरीत दुनिया के आकर्षण पर चर्चा करेंगी। लूसी की पुस्तक ‘ओपनिंग्स: थर्टीन स्टोरीज’ में प्रेम, हानि और समकालीन आयरलैंड में मानवीय स्थिति पर विमर्श किया गया है।
• जयपुर साहित्य महोत्सव का विषय
टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजय के रॉय ने कहा, “इस साल, यह उत्सव अपराध कथा के विशेष विषय पर केंद्रित होगा, जिसमें इस विधा के उल्लेखनीय लेखक भाग लेंगे। इसके अलावा, कविता कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग बनी हुई है।”
2025 का संस्करण भी “फ्रैक्चर्ड वर्ल्ड” थीम पर आधारित होगा, जिसमें वर्तमान भू-राजनीति, युद्ध और संघर्ष के साथ-साथ थिएटर, नृत्य, संगीत, सिनेमा, खेल, भोजन और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर चर्चा होगी।
फेस्टिवल के सह-निदेशक और पुरस्कार विजेता इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने इस कार्यक्रम को “एक वैश्विक मंच बताया जो दुनिया भर की कुछ सबसे प्रभावशाली आवाज़ों को एक साथ लाता है।” उन्होंने कहा, “इस साल के कार्यक्रम में 600 से ज़्यादा दिग्गज शामिल हैं, जिनमें नोबेल पुरस्कार विजेता, बुकर पुरस्कार, पुलित्ज़र और साहित्य अकादमी विजेता, नीति निर्माता और जाने-माने लेखक शामिल हैं।”
संजय के रॉय ने जयपुर और उसके निवासियों की वर्षों से मिल रहे अटूट समर्थन के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “यह उत्सव विचारों और कहानियों के जीवंत उत्सव में तब्दील हो गया है, जो जयपुर और उसके नागरिकों की भावना और उत्साह से संभव हुआ है।”