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मकर संक्रान्तिःपतंग का मजा और पक्षियों को सजा, हम बेजुबान की भी सुनो सुबह शाम दो घंटे नहीं उड़ाएँ पंतग

सत्यनारायण सेन

गुरला । प्रति वर्ष 14 जनवरी के दिन मकर संक्रान्ति का त्यौहार हर्षों – उल्लास के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति को पतंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। सभी अपने अपने घरों की छतों पर पतंग उड़ाने के साथ तिल के व्यंजनों का मजा लेते हुए दिखाई देते हैं। इस दिन आसमान में चारों तरफ उड़ती रंग बिरंगी पतंगें आकर्षण का केन्द्र होती है।लेकिन इस पतंगबाजी से बेजुबान पक्षियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
दरअसल, पतंग की डोर में उलझकर हर साल कई पक्षियों की मौत हो जाती है। पतंग उड़ाने के लिए जिस मांझें का इस्तेमाल किया जाता है, वों पक्षियों के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे कई बार पक्षियों के पंख तक कट जाते है। इसलिए पतंग उड़ाने के लिए सुरक्षित मांझें का इस्तेमाल सभी को करना जानिए। पक्षियों को बचाने के लिए पक्षी विशेषज्ञों की राय है कि सुबह छह बजे से आठ बजे तक पक्षी दाने की खोज में निकलते हैं और वे शाम पांच बजे से सात बजे तक वापस घोंसले में लौटते हैं। इन चार घंटों के दौरान पतंग बाजी नही की जाए, तो अधिकतर पक्षियों की जांने बचाई जा सकती है
यह पहल खुद करें, अपने परिजनों को समझाएं और परिचितों तक ये संदेश पहुंचाएं।

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