आखिर जिम्मेदारों की इस मौन स्वीकृति की पीछे क्या है कारण??
भीलवाड़ा। जिले के सबसे बड़े ए श्रेणी महात्मा गांधी अस्पताल की कैंटीन में जमकर हो रही अधिकतम खुदरा मूल्य से ज्यादा वसूली, कैंटीन संचालक वसूलता है एमआरपी से ज्यादा दाम, ज्यादा रुपए मांगे जाने की कहने पर कैंटीन संचालक द्वारा की जाती है अभद्रता,
विदित रहे कि जिला मुख्यालय पर स्थित महात्मा गांधी चिकित्सालय जिले का सबसे बड़ा ए श्रेणी अस्पताल है, जहां पर रोजाना हजारों की संख्या में मरीज और तीमारदार आते है और कैंटीन संचालक ऐसे मरीजों और उनके तीमारदारों से एमआरपी से अधिक दाम वसूलते है और विरोध करने पर संचालक व कर्मचारियों द्वारा बदसलूकी व अभद्रता की जाती है। कैंटीन संचालक उत्पादों की मन माफिक दाम वसूलते है और उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं है। सरस के दही का 200 ग्राम का डिब्बा जो बाजार में 16 रुपए की एमआरपी पर मिलता है, उसके कैंटीन संचालक द्वारा कभी 20 तो कभी 25 रुपए तक वसूले जाते है जो की एमआरपी से करीब 64 प्रतिशत तक ज्यादा है। इसी प्रकार कोल्ड ड्रिंक की बोतल जो बाजार में 40 रुपए एमआरपी पर मिलती है, उसके संचालक व कर्मचारियों द्वारा कभी 45 तो कभी 50 रुपए तक वसूल किए जाते है। महात्मा गांधी अस्पताल की कैंटीन में संचालक द्वारा तंबाकू उत्पाद भी धड़ल्ले से बिना किसी डर के बेचे जाते है, जहां रोजाना कई युवा सिगरेट पीते देखे जा सकते है। जिम्मेदारों की नाक के नीचे रोज यह होता है लेकिन फिर भी जिम्मेदार कोई कार्यवाही नहीं करते और आंख मूंदकर बैठे रहते है, क्या इसे जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति समझी जाए, आखिर जिम्मेदारों की इस मौन स्वीकृति की पीछे क्या है कारण????, जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालय एमजीएच परिसर में ही स्थित है। पूर्व में भी इस तरह की कई बार शिकायत आ चुकी है लेकिन इस और प्रशासन ने अपना ध्यान केंद्रित नही किया ।