Homeराज्यमोहन यादव सरकार का एक साल

मोहन यादव सरकार का एक साल


प्रदेश पर कर्ज़, किसानों का दर्द,दलितों पर अत्याचार और बेरोज़गारी का मर्ज़

कमलनाथ
स्मार्ट हलचल/मध्यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार का एक साल का कार्यकाल 13 दिसंबर को पूरा हो गया। अब बीजेपी इस एक साल को स्वर्णिम कार्यकाल बताकर अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन मोहन सरकार ने गरीबों, किसानों, युवाओं, महिलाओं, दलितों और सभी वर्गों के लोगों के लिए क्‍या किया है यह विचारणीय है। महिला सुरक्षा, दलित और आदिवासी सुरक्षा के मामले में मध्यप्रदेश का रिकॉर्ड और भी खराब हो गया है। स्वास्थ्य शिक्षा का हाल यह है कि मध्यप्रदेश की पहचान व्यापमं और नर्सिंग जैसे घोटालों से होने लगी है। समाज की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था, हर पहलू पर इतनी नाकामी क्यों हासिल हो रही है? इससे बढ़कर चिंता की बात यह है कि मध्य प्रदेश सरकार इन सारे विषयों पर एकदम चुप है। क्या जनता के विकास के ये सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर सरकार की प्राथमिकता से बाहर हो गए हैं? ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश की सरकार ने जमीनी सच्चाई से पूरी तरह पीठ फेर ली है और प्रदेश को उसके हाल पर छोड़ कर, खुद सिर्फ झूठी ब्रांडिंग से अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त हो गई है। हकीकत से मुंह फेर कर मोहन सरकार झूठे प्रचार-प्रसार में मस्‍त है। जबकि चुनावों के पहले बीजेपी ने बड़े-बड़े वादे कर जनता को गुमराह करने का काम किया। आज प्रदेश की जनता खुद सरकार से सवाल करना चाहती है कि वादों का क्‍या हुआ? सरकार कर्ज पर कर्ज लेकर अपनी गाड़ी को चला रही है। और सपने ऐसे दिखाए जा रहे हैं कि प्रदेश ने विकास के कई सोपान गढ़ लिए हैं।

दलितों पर अत्‍याचार
पिछले एक साल में प्रदेश में दलितों पर काफी अत्‍याचार हुए हैं। वह चाहे शिवपुरी की घटना हो या सागर की घटना हो। सारे प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्‍याचारों से यही लगता है कि यह साल दलित अत्‍याचार पर केन्द्रित रहा है। शिवपुरी के इंदरगढ़ में एक दलित युवक की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। मध्यप्रदेश के सागर जिले के ग्राम बरोदिया नोनागिर में दलित युवती द्वारा छेड़छाड़ की शिकायत से गुस्साए गुंडों ने युवती के भाई की पिछले वर्ष अगस्त माह में हत्या कर दी थी। हत्या में बीजेपी नेताओं पर आरोप लगे। पीड़ित परिवार समझौते के लिये तैयार नहीं हुआ तो दो दिन पूर्व पीड़िता के चाचा की भी हत्या कर दी गई। मंदसौर जिले के एक गांव में एक महिला का पीछा करने के आरोप में दलित व्यक्ति को चेहरा काला करके, गले में जूतों की माला डालकर घुमाया गया।

यह दोनों घटनाएं तो सिर्फ ऐसी थी जो सुर्खियों में ज्‍यादा रहीं लेकिन‍ ऐसी न जाने हजारों घटनाएं हैं जो रोज दलितों से साथ घटती रहीं। दुर्भाग्य की बात है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस तरह के विषयों पर कुछ भी कहने से बचते रहे और दलितों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने में पूरी तरह नाकाम रहे।

कर्ज के भरोसे सरकार
मध्य प्रदेश में कर्ज दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसा कोई महीना नहीं बीतता है जब सरकार कर्ज न ले रही हो। सरकार पिछले 11 महीनों में 40 हजार 500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। राज्य यादव सरकार के एक साल पूरे होने के साथ कर्ज का आंकड़ा 52.5 हजार करोड़ तक पहुंचने वाला है। दिसंबर 2023 से अब तक सरकार ने 47.5 हजार करोड़ का कर्ज लिया है। साल 2024 के अंत तक राज्य पर कुल कर्ज 4 लाख करोड़ से अधिक हो जाएगा। पिछले 6 माह में हर महीने 05-05 हजार करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक 30 हजार करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। 31 मार्च 2025 तक मप्र सरकार का कर्ज 4.21 लाख करोड़ पहुंचेगा। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार अपनी जरूरतों के लिए लगभग 25 हजार करोड़ का अतिरिक्त कर्ज लेगी। पिछले साढ़े चार साल में मप्र सरकार पर कर्ज का बोझ सबसे तेजी से बढ़ा है। मार्च 2020 की स्थिति में सरकार पर लगभग 2.01 लाख करोड़ का ही कर्ज था, लेकिन पिछले साढ़े चार साल में यह दोगुना हो गया है।

वादे पूरे करने में नाकाम मोहन सरकार
सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा होने का जश्न मना रही है। लेकिन‍ अपने वादों को भूल गई है। चुनावों के समय जो वादे किये थे उन पर ध्‍यान ही नहीं है। लाड़ली बहनों को 3,000 रुपये की राशि देने का वादा, किसानों को उपज का दाम मिलना, युवाओं को रोजगार देने का वादा, महिलाओं को सुरक्षा देने का वादा, भ्रष्‍टाचार मुक्‍त प्रदेश बनाने का वादा ऐसे तमाम वादे थे जो एक साल में शुरू ही नहीं हुए हैं।

किसान परेशान, जश्‍न में सरकार
मध्य प्रदेश में खाद की कमी के कारण किसानों की आय पर भी काफी असर पड़ा है। किसानों ने खाद की कमी के कारण अपनी फसल ही नहीं बोई। किसानों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहले साल के कार्यकाल में ऐसे मामले हैं जहां मोहन यादव की सरकार बैकफुट पर नजर आई।

राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल
13 दिसंबर 2023 को मोहन यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। मोहन यादव के पहले कार्यकाल में मध्य प्रदेश में क्राइम के कई ऐसे मामले आए जिसके राज्य सरकार की किरकिरी हुई। वैसे तो प्रदेश को शांति का टापू कहा जाता है लेकिन प्रदेश में दिनोंदिन बढ़ रहे अपराधों ने मध्‍यप्रदेश को बदनाम किया है। अपराधों के आंकड़ों में लगातार इजाफा हो रहा है। क्‍या महिलाएं क्‍या बच्चियां, कोई सुरक्षित नहीं है। साइबर क्राइम भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

नौकरियों की घोषणा पर भर्ती नहीं
राज्य के युवाओं को साधने के लिए मोहन यादव की सरकार ने एक लाख पदों पर भर्ती की घोषणा की थी। दिसंबर महीने से भर्ती शुरू होनी थी लेकिन कई विभाग ऐसे हैं जो यह रिपोर्ट तक नहीं दे पाए हैं कि उनके विभाग में कितने पद खाली हैं। बीते एक साल से भर्ती नहीं होने पर युवाओं में ओवरएज होने का डर है।

नर्सिंग घोटाले से धूमिल हुई छवि
राज्य में नर्सिंग घोटाले के बाद प्रदेश सरकार की छवि धूमिल हुई है। राज्य में कॉलेजों की संख्या कम की गई है। नर्सिंग घोटाले के सामने आने के बाद समय पर परीक्षाएं नहीं हो पाई हैं। पूरे मामले की निगरानी कोर्ट में चल रही है। सरकार ने पूरे मामले में लीपापोती कर हजारों बच्‍चों के भविष्‍य के साथ खिलवाड़ की है। राज्य के कई छात्र संगठन भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसानों की धान खरीदी का वादा पूरा नहीं
छत्तीसगढ़ की तरह मध्य प्रदेश में धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपये देने की घोषणा की गई थी। लेकिन राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपये नहीं किया गया। धान अभी भी 2320 रुपये के समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही है। इसके साथ ही किसानों को खाद के लिए के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई जिलों में खाद की कमी को लेकर किसान सड़कों पर उतर चुके हैं

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
AD dharti Putra
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES