काशी वाराणसी के सुप्रसिद्ध कलाकार धर्म और इतिहास के प्रति कर रहे जागरूक,भगवान राम के आदर्शो को जन जन तक पहुंचाने का प्रयास..
मोबाइल के प्रचलन से लोकनाट्य कला और हमारी नई पीढ़ी भारत के भविष्य बच्चों में संस्कार समाप्त हो रहे हैं–संचालक राघवेंद्र कुमार
खामोर@(किशन वैष्णव)ग्राम पंचायत में पहली बार काशी वाराणसी उत्तर प्रदेश के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा हिंदू संस्कृति एवं जगत कल्याण के लिए नव दिवसीय ऐतिहासिक रामलीला मंचन शुरू किया है। दूसरे दिन मुनि आगमन,ताड़का वध संतो के हवन कुंडो की रक्षा सहित संतो द्वारा राक्षसो से रक्षा के लिए भगवान राम के पिता दशरथ से भगवान राम की सहायता मांगने सहित अनेक प्रकार के पात्रों का सुंदर और आकर्षक वेशभूषा पहने हुए मंचन किया पंचायत सहित आसपास के गांव से सैकड़ो की तादाद में लोग रामलीला देखने पहुंचे श्रद्धालु धर्म लाभ ले रहे हैं। वही विश्वामित्र दशरथ संवाद से दर्शक भाव विभोर हो गए तथा विशेष रूप से ताड़का वध का मंचन सराहनीय रहा मंडल के संचालक राघवेंद्र कुमार ने बताया की आधुनिक युग में टीवी और मोबाइल के प्रचलन से लोकनाट्य कला और हमारी नई पीढ़ी भारत के भविष्य बच्चों में संस्कार समाप्त हो रहे हैं जबकि रामायण महा ग्रंथ मानव जाति का मार्गदर्शन है हर कठिनाइयों का सामना करते हुए धर्म प्रचारक संस्थान काशी वाराणसी द्वारा जन सहयोग से प्रभु श्री रामचंद्र जी के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है एवं हिंदू संस्कृति की रक्षा की जा रही है। राघवेंद्र कुमार ने बताया कि कल श्री सीता जी का स्वयंवर रावण बाणासुर संवाद एवं धनुष भंग की लीला बड़े ही सुचारू रूप से दर्शाई जाएगी।मंडल के संचालक राघवेंद्र कुमार ने बताया की प्रभु श्री रामचंद्र जी के जीवन चरित्र से ही हमें पता चलता है की एक पुत्र को अपने पिता के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए एक पुत्र को अपने माता के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए भाई और भाई के बीच संबंध कैसे होने चाहिए स्वामी और सेवक का संबंध कैसा होना चाहिए पति और पत्नी को अपने रिश्ते कैसे निभाना चाहिए यह सारी शिक्षा हमें रामायण द्वारा प्राप्त होती है जहां दूसरे के हक को छेने की बात हो वहां महाभारत की शुरुआत होती है जहां अपने हक को भी छोड़ने की बात हो वहां रामायण की शुरुआत होती है आज से लगभग 50 साल पहले प्रत्येक गांव और नगरों में साल में एक बार रामलीला का मंचन होता था परंतु आज के समय में ना ही रामलीला करने वाले रह गए ना ही करने वाले रह गए संचालक राघवेंद्र कुमार ने बताया कि इस आयोजन में हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है गांव-गांव नगर नगर में जाकर लोगों को जोड़कर इस तरह के आयोजन को सफल करना बड़ा ही मुश्किल कार्य है फिर भी अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए धर्म प्रचारक संस्थान काशी उत्तर प्रदेश के कलाकार साल के 8 महीने संकल्पित रूप से सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित रहते हैं और देश के विभिन्न राज्यों में पहुंचकर प्रभु श्री रामचंद्र जी के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।