राम का भक्त मांडलगढ़ का बूटा रामभक्ति का प्रचार प्रसार करते त्यागे प्राण
सुरेश कुमार सेन
मांडलगढ़ :- बाबरी मस्जिद के विवाद को लेकर सन 1992 के उस दौर में हर कोई रामसैनिक बनकर अपनी ओर से रामदिवाने होकर कार सेवकों की हौसलाअफजाई के लिए जैसे तैसे बन पड़ा प्रचार प्रसार के लिए क्षेत्र में उतर पड़े। हम बात कर रहे है जगदीश पुत्र श्यामलाल स्वर्णकार उर्फ बूटा उम्र करीब 20 साल निवासी पुरानी आबादी मांडलगढ़ की। जब कारसेवकों के अयोध्या जाने के लिए गावो गांवों में पहल की जा रही थी उस समय मांडलगढ़ के लाल जगदीश पुत्र श्यामलाल स्वर्णकार उर्फ बूटा मांडलगढ़ नगरी छोड़कर गांव गांव में अलख जगाने एवम कार सेवकों में जोश भरने के लिए निकले पड़े। गावो गावो में इसके लिए वे टीवी के माध्यम से राम जागृति लाकर लोगो मे रामभक्ति एवम कारसेवकों उत्साह भरने का काम करने के लिए सभी हदें पार कर रामभक्ति के दीवाने बनकर जी जान से प्रचार प्रसार के लिए जुटे हुए थे। इसी दौरान जगदीश उर्फ बूटा मांडलगढ़ क्षेत्र के गोवटा सर्किल में रामभक्ति का प्रचार प्रसार कर रहे थे जानकारी के अभाव में एक कुए में जा गिरे जिसके चलते उनकी मौत हो गई। उनके साथी राजू हाड़ा, मन्नू आंचलिया सहित अन्य मांडलगढ़ वासियों ने बताया कि कम उम्र में जगदीश उर्फ बूटा राम के दीवाने थे और रामकाज करिबे को आतुर यानी राम की भक्ति कार्य के लिए वे बड़े आतुर रहते थे। आज राम मंदिर बनकर हर आमखास खास के लिए तैयार है ऐसे में जगदीश स्वर्णकार उर्फ बूटा को उनके मांडलगढ़ के साथी उन्हें स्मरण कर रहे है। राम मंदिर व क्षेत्र से कार सेवकों द्वारा उस समय जो सहयोग किया गया उनका सहयोग सदैव अविस्मरणीय रहेगा।