कुलपति प्रभात कुमार, प्रति कुलपति डॉ रमाकांत यादव, कुल सचिव डॉ चंद्रवीर सिंह, डीन डॉ आदेश कुमार ने किया पुस्तक का अनावरण
मेडीकल यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुशील कुमार यादव द्वारा लिखी गयी
हैंडबुक ऑन बायरल हेपेटाइटिस नामक पुस्तक
(सुघर सिंह सैफई)
सैफई (इटावा)स्मार्ट हलचल/उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में राष्ट्रीय हेपेटाइटिस कार्यक्रम के तहत मरीज़ों और आम जनमानस में हेपेटाइटिस (पीलिया) की जागरूकता को बढ़ाने के उद्देश्य से लिखी गयी पुस्तक हैंडबुक ऑन बायरल हेपेटाइटिस का विमोचन कुलपति डॉक्टर प्रभात कुमार सिंह व प्रति कुलपति डॉ रमाकांत यादव, कुल सचिव डॉ चंद्रवीर सिंह, डीन डॉ आदेश कुमार के द्वारा किया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ प्रभात कुमार सिंह ने हैंडबुक के लेखक असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सुशील कुमार यादव की तारीफ करते हुए कहा कि हेपेटाइटिस को आम भाषा में पीलिया कहा जाता है। यह बुकलेट लोगों और मरीजों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरुक करेगी।
किताब के लेखक डॉ सुशील यादव असिस्टेंट प्रोफ़ेसर नोडल अधिकारी हेपेटाइटिस कार्यक्रम एव मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर सैफई ने बताया कि हेपेटाइटिस की ये हैंडबुक ओपीडी में कमरा नंबर २० में उपलब्ध रहेगी।
इस हैंडबुक को हॉस्पिटल में कार्यरत कोई भी चिकित्सक या नर्सिंग स्टाफ या कोई भी कर्मचारी निःशुल्क प्राप्त कर सकता है।
डॉ सुशील ने बताया कि इस हैंडबुक में हेपेटाइटिस के सभी वायरस के बारे में जानकारी के साथ – साथ खाने पीने के परहेज़ के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। बुकलेट में हेपेटाइटिस से संबंधित जानकारी जैसे कि
हेपेटाइटिस लीवर की सूजन है,जो अक्सर वायरल संक्रमण के कारण होती है। हेपेटाइटिस वायरस के पांच मुख्य प्रकार -ए, बी, सी, डी और ई – अधिकांश मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। हेपेटाइटिस बी और सी सबसे आम हैं, जो हेपेटाइटिस से संबंधित 90% से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। क्रोनिक हेपेटाइटिस संक्रमण से सिरोसिस, लीवर कैंसर और लीवर फेलियर सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 325 मिलियन लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं,और हेपेटाइटिस से संबंधित जटिलताओं के कारण हर साल 1.3 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं।
👉इन लोगों को है हेपेटाइटिस से सबसे ज्यादा खतरा-
आखिर बीमारी फैलने के कारण होते क्या हैं? तो इस पर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि हेपिटाइटिस का खतरा कई कारणों से हो सकता है, जैसे कमजोर इम्यूनिटी, खानपान में लापरवाही, ड्रग्स, शराब और नशीले पदार्थों का ज्यादा सेवन करना नुकसान पहुंचा सकता है.
हेपेटाइटिस बी वायरस सबसे अधिक जन्म और प्रसव के दौरान मां से बच्चे में फैलता है, दूसरा अहम कारण संक्रमित साथी के साथ सेक्स के दौरान रक्त या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने, असुरक्षित इंजेक्शन के संपर्क में आने से भी फैलता है। लक्षणों की बात करें तो हेपेटाइटिस में बुखार, कमजोरी, भूख की कमी, दस्त, उलटी, पेट दर्द, गहरे रंग का पेशाब और पीला मल, पीलिया शामिल है. हालांकि हेपेटाइटिस से ग्रसित कई लोगों को बहुत हलके लक्षण होते है, वहीं कई लोगों में लक्षण नहीं दिखते।
👉 लक्षण दिखे या आशंका हो तो पता कैसे करें ?
हेपेटाइटिस ए, बी तथा सी की जांच के लिए पारिवारिक डॉक्टर के पास जाकर ब्लड टेस्ट करा सकते हैं. ए के लिए कोई खास इलाज नहीं है लोग खुद ब खुद ही ठीक हो जाते हैं एंडी बॉडी खुद डेवलप हो जाती है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी, सी दोनों को एन्टीवायरल दवाओं से ठीक किया जा सकता है। जो लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर से रोकथाम करता है। हेपेटाइटिस ए और बी को रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। जन्म के समय शिशुओं को हेपेटाइटिस बी का टीका उनकी रक्षा करता है और हेपेटाइटिस डी से भी बचा सकता है।
इस मौके पर प्रति कुलपति डॉ रमाकांत यादव, कुल सचिव डॉक्टर चंद्रवीर सिंह, डीन मेडिकल डॉक्टर आदेश कुमार, डॉक्टर आई०के० शर्मा आदि मौजूद रहे।