बदनोर। बेशक बदनोर को ब्यावर जिले में शामिल कर दिया गया हो, लेकिन गिला खत्म नहीं है। अगर रोडवेज की बात करें तो बदनोर का बेड़ा गर्क है। परिवहन की पर्याप्त सुविधाएं आज तक नहीं हैं। बदनोर -ब्यावर तो बदनोर -भीम , बदनोर – गुलाबपुरा की बसे संचालीत नहीं हैं। सितम यह कि नेशनल हाइवे 158 को जोड़ने वाले इस कस्बे से रात में कहीं का सफर मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। प्राइवेट बसों का हाल यह है कि शाम ढलते ही बसों के पहिये थम जाते हैं। ब्यावर से शाम 7.30 बजे के बाद कोई भी बस बदनोर के लिए नहीं हैं, यही नहीं, 1990 में पहले स्थापति हो चुके बदनोर डिपो आज के समय में बंद पड़ा हैं, निगम की एक भी बस नहीं है। बदनोर वाया भीम की बस लगभग 5 सालो से बंद पड़ी है, ऒर निजी बसे ब्यावर के लिए आख़री बस 7:30 पर निकलती है कोई यात्री अगर 8 बजे ब्यावर से बदनोर आने के लिए निजी वाहन से आता है तो कोई प्राइवेट गाड़ी एक हजार रूपये से अधिक किराया देकर बदनोर पहुँचता है वही भीम से बदनोर आने के लिए शाम ढलने के बाद 800 रूपये देकर आना पड़ता है, जबकी इस मार्ग पर रोडवेज की लम्बी दुरी की कई बसे संचालित होती थी, जिससे रात्रि में सफर करना आसान था, वर्तमान में बदनोर से भीम जाने के लिए किसी भी प्रकार की बसे संचालित नहीं हैं, ऒर भीम से बदनोर की दुरी मात्र 28 किलोमीटर हैं जिसका निजी वाहन चालक 80 रूपये किराया वसूल रहें हैं, जिसके लिए यात्रियों कों घंटों इंतजार करना पड़ता हैं, कब निजी टेक्सी भरेगी ऒर वो यात्रा कर पायंगे।