शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शुक्रवार को नगर स्वयंसेवक संघ शाखा द्वारा महाविद्यालय प्रांगण में भव्य शताब्दी समारोह, विजयादशमी उत्सव और शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिकों, वरिष्ठ स्वयंसेवकों और मातृशक्ति की व्यापक भागीदारी रही। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता मंच पर रखे अस्त्र-शस्त्रों की पूजा से हुई। अतिथियों ने शस्त्र पूजन कर शौर्य और पराक्रम की भारतीय परंपरा को स्मरण किया। इसके बाद संघ के स्वयंसेवकों द्वारा ध्वजारोहण किया गया। सभी ने मिलकर संघ प्रार्थना गाई और ध्वज को प्रणाम किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीराम मंदिर के महंत सीताराम बाबा ने की। उन्होंने कहा कि संगठन में ही शक्ति है और संघ का उद्देश्य मर्यादानुसार राष्ट्र सेवा करना है।
मुख्य अतिथि संत रामजस रामस्नेही महाराज ने कहा कि जहां कोई व्यक्ति अपने परिवार या समाज की सेवा करता है, वहीं संघ का स्वयंसेवक पूरे राष्ट्र की सेवा को सर्वोपरि मानता है। मुख्य वक्ता भारत भूषण ओझा (प्रान्तीय प्रमुख, चित्तौड़गढ़) ने अपने बौद्धिक उद्बोधन में कहा कि व्यक्ति का निर्माण ही राष्ट्र निर्माण का आधार है। उन्होंने 1925 में डॉ. केशव बल्लीराम हेडगेवार द्वारा संघ की स्थापना और माधवराव गोलवलकर ‘गुरुजी’ के मार्गदर्शन में संघ की यात्रा पर विस्तृत प्रकाश डाला।
इस अवसर पर छोटी बच्चियों द्वारा प्रस्तुत भारत माता की सजीव झांकियों ने सभी को प्रभावित किया। झांकियों ने त्याग, देशभक्ति और संस्कृति की प्रेरणादायी झलक प्रस्तुत की। भजन सम्राट प्रकाश दास महाराज ने फोन पर शताब्दी वर्ष पर अपना संदेश दिया, जिसे कार्यक्रम स्थल पर सुनाया गया। मंच संचालन अशोक जांगिड़ ने किया और अतिथियों का परिचय शंकरलाल तोषनीवाल ने कराया। अंत में नगर संघ संचालक कन्हैयालाल वर्मा ने आभार ज्ञापित किया।
वक्ताओं ने कहा कि संघ की 100 वर्ष की यात्रा छोटे बीज से वटवृक्ष बनने की प्रेरक गाथा है। संघ का उद्देश्य केवल शाखाओं का विस्तार नहीं, बल्कि समाज में राष्ट्रीयता, संस्कृति और एकता का जागरण है। स्वयंसेवक प्रतिदिन शाखाओं में आकर सेवा और राष्ट्रहित को सर्वोच्च मानते हैं।



