शरम-वरम तो चाट के खा गए क्या चटूहों के चेयरमैन साहब?
स्मार्ट हलचल/गांवमें घूम-घूमके चौखट चाटना पड़ रहा है थूक चट्टों,लोकतंत्र के लूच्चों,दगाबाज टूच्चों,चटूहे चेयरमैन के नश्ले हरामियों?गढ़ो नरेटीव? जिसने आपको रोशनी दी उन्हीं को अंधेरे अता कर रहे हैं।जिसने आपको ऐश्वर्य का जीवन दिया,उन्हीं को आपने मजरूब किया!आप जैसा प्रचंड ज़ाहिल इस ग्रह पर नही देखा जो समाज के साथ घात किया, जिसने बनाया,उसी को बिगाड़ा, नालायक संतानों के संताप को छुपाने के लिए दूसरे संतानों को ग़लत नरेटीव गढ़ के डिफेमेशन का कृत किया है। सवाल वही फिर दुहरा रहा हूं कि विनोद सिंह बांसडीह के दामाद के लिए मास्टर बनाने के लिए चालिस लाख रुपया, विनोद के बाप का था या उनके दामाद के बाप का था,चटूहों के आइकन और चटूहों का किसान पीजी कालेज रक्सा रतसड़ बलिया यूपी में क्या लगा है?