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अध्यात्म विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षायोग श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर ने विशुद्ध पावन वर्षायोग में आध्यात्मिक प्रबंधन

आवश्यक का अर्जन व शेष का विसर्जन करना सीखें — श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर
यदि अर्जन किया है तो विसर्जन अवश्य करें — गुरुदेव आदित्य सागर महाराज
— जीवन में जो साथ जाएगा,उसके अर्जन पर ध्यान केन्द्रित करें
— ज्ञान दर्शन व चरित्र का अर्जन श्रेष्ठ है
— अनलिमिटेड बनना है तो लिमिटेड हो जाए

कोटा।स्मार्ट हलचल/चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन समाज समिति की द्वारा श्रमण श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर जी मुनिराज संघ का भव्य चातुर्मास पर जैन मंदिर रिद्धि—सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में अध्यात्म विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षायोग में श्रमण श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर जी मुनिराज ने अपने ज्ञान की वर्षा भक्तों पर की। इस अवसर पर अप्रमित सागर और मुनि सहज सागर महाराज संघ का सानिध्य भी प्राप्त हुआ।
अध्यक्ष टीकम पाटनी और महामंत्री पारस बज खजुरी नें बताया कि चातुर्मास के चित्र अनावरण तथा व पाद प्रच्छालन एवं सांध्य कालीन आरती सिवनी से पधारे हुए भक्तो नें किया।
गुरुदेव ने अपने नीति प्रवचन में जीवन प्रबंधन पर बोलते हुए कहा कि मनुष्य को जीवन मे आवश्यकता के अनुसार ही अर्जन करना चाहिए। उसे अर्जन व विर्सजन में संतुलन बनाए रखना चाहिए। अर्जन व विसर्जन में संतुलन न हो तो स्वर्ग को भी मनुष्य नर्क के सामान कर देगा। उन्होने कहा कि आवश्यक का अर्जन,शेष का विर्सजन ये मानव की प्रवृति होनी चाहिए। यदि अधिक बोझा लेकर चलेगा तो मोक्ष मार्ग की गति धीमी हो जाएगी। मुनि के पास अधिक बोझ नहीं होता है इसलिए उसकी मोक्ष की गति तेज व सीधी होती है। प्राणी जब अर्जन का द्वार खोलता है उसे विसर्जन का द्वार भी खोला रखना चाहिए। जब कुछ छोडोगे तभी कुछ मिलेगा। मनुष्य को अर्जन व विसर्जन के सिद्धांत को समझना होगा। जब आप गुरू भक्ति करते हो, उसे समय देते हो,मंदिर आते हो तो आप पुण्य अर्जित कर पाप का विसर्जन करते हो।यदि धन कमा रहे हो तो उसका विसर्जन दान रूप में अवश्य करें वरना वह धन,दहेज,अस्पताल,आयकर की रेट या संतान को जाना निश्चित है आप उसका उपयोग नहीं कर सकते है।
श्रतुसंवेगी श्री 108 आदित्य सागर ने अपने नीति प्रवचन में कहा कि जब आप लिमिटेड होते है तभी आप अनलिमिटेड बनते हो। जब जीवन में नियम बनाएंगे आप समिति होंगे तो ही आप असमिति सुख प्राप्त कर सकते है। जो इस जीवन के साथ जाएगा उसके अर्जन में समय देना चाहिए। ज्ञान व चरित्र का अर्जन करना श्रेष्ठ है।
कार्यक्रम में मंच संचालन संजय सांवला नें किया। इस अवसर पर सकल जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष राजमल पाटौदी,रिद्धि—सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़,कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला,चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी,मंत्री पारस बज,कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा,पारस कासलीवाल,बाबू लाल रेबारपुरा,मनमोहन गोधा, अज्जू भैया,सुरेश देइ,पीयूष बज,अशोक पापड़ीवाल,महेंद्र कोठारी,सुशील पाटनी,पदम जैन इलेक्ट्रिकल,कैलाश बज सहित कई शहरो के श्रावक उपस्थित रहे।

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