काफी संख्या में मुस्लिम दर्शक भी आते हैं रामलीला को देखने
रेखचन्द्र भारद्वाज
जुरहरा, जिला डीग: स्मार्ट हलचल/कस्बे में चल रहे रामलीला महोत्सव के तहत मंगलवार की रात्रि को देशभर में प्रसिद्ध जुरहरा की सीताहरण की लीला का मंचन स्थानीय कलाकारों के द्वारा किया गया। सीताहरण की लीला को देखने के लिए जुरहरा कस्बा सहित ग्रामीण अंचल से काफी संख्या में लोगों की भीड़ लीला के समाप्ति होने तक जमी रही। रामलीला में रावण की बहन सूर्पणखा पंचवटी पर कुटिया बनाकर अपना निर्वासन बिता रहे श्रीराम व लक्ष्मण को देखकर मोहित हो जाती है और श्रीराम के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखती है जिसे श्रीराम ठुकरा देते हैं। राम के प्रस्ताव ठुकरा देने पर सूर्पणखा सुंदरी से कुरूपा रूप धारण कर सीताजी को डराने लगती है जिस पर श्रीराम का इशारा मिलते ही लक्ष्मण जी सूर्पणखा की नाक व कान को काट डालते हैं। नाक व कान कटने पर सूर्पणखा दुहाई देती हुई खर- दूषण- त्रिशला के दरबार में पहुंचकर उन्हे सारा वृतांत सुनाती है। ये सब सुनकर खर-दूषण-त्रिशला युद्ध के लिए चलते है। भगवान श्रीराम राक्षसों के समूह को देखकर सीताजी से कहते है कि हे सीता राक्षसों का समूह हमारी ओर आ रहा है जिनका वध करने तक आप अग्नि में समा जाओ और मेरे साथ आपका प्रतिबिम्ब रहेगा तथा मैं अब नर लीला करूंगा। उसके बाद खर-दूषण-त्रिशला युद्ध मे मारे जाते हैं और उनके मारे जाने पर सूर्पणखा बिलखती हुई रावण के दरबार मे पहुंचती है व उसे सार वृतांत सुनाती है। रावण विचार करता है कि खर-दूषण-त्रिशला मेरे समान बलवान थे जरूर भगवान का अवतार हो गया। इसलिए सीता का हरण कर अपने राक्षस समाज का उद्धार करवाऊंगा। लीला में रावण ने मारीच को सोने का मृग बनाकर स्वयं साधु का वेश धारण कर सीता का हरण किया। रावण जटायु युद्ध होता है। रावण अशोक वाटिका में सीता को ले जाता है। राम विलाप एवं जटायु उद्धार के प्रसंग का भी मार्मिक मंचन किया गया। लीला में राम का अभिनय लक्ष्य शर्मा, सीता का अभिनय गोपाल शर्मा, लक्ष्मण का अभिनय आशु तिवारी, रावण का अभिनय गौरीशंकर शर्मा, खर का अभनय नरेश शर्मा, दूषण का अभिनय चेतन शर्मा त्रिशला का अभिनय दीपक शर्मा, सुंदरी का अभिनय अखिल वशिष्ठ, कुरूपा का अभिनय राधेश्याम प्रजापति, मारीच का अभिनय अर्जुनसिंह मानवी, हास्य कलाकार व मंत्री का अभिनय राजू पाराशर, विनोद मानवी व केके शर्मा के द्वारा किया गया। व्यास गद्दी पर रामायण का पाठ भगवानदास पाराशर के द्वारा किया गया। गौरतलब है कि जुरहरा कस्बे की रामलीलाएं देशभर में काफी प्रसिद्ध व लोकप्रिय हैं। कस्बे की रामलीलाओं को देखने के लिए दूर-दराज से भी लोग आते हैं। खास बात यह है कि रामलीलाओं के मंचन को देखने के लिए न केवल हिंदू दर्शक बल्कि काफी संख्या में मुस्लिम लोग भी आते हैं जिससे जुरहरा कस्बे की रामलीलाएं कौमी एकता की प्रतीक मानी जाती है।