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भीलवाड़ा में सुविचार अभियान संगोष्ठी का शुभारंभ

भैयाजी जोशी बोले “गांव की परंपराओं से ही भारत का भविष्य सुरक्षित”

मूलचन्द पेसवानी
भीलवाड़ा-स्मार्ट हलचल|राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं पूर्व सरकार्यवाह सुरेश चंद्र (भैयाजी) जोशी ने कहा कि गांव भारत की आत्मा हैं। एक-दूसरे के सुख-दुख में सम्मिलित होना हमारी परंपरा रही है और यही हमारी सामाजिक ताकत है। आधुनिकता और औद्योगीकरण ने समाज को नई दिशा दी है, लेकिन संतुलन खोने से संकट भी बढ़ा है। इसलिए हमें विज्ञान और प्रकृति के बीच तालमेल बनाकर चलना होगा।
वे शनिवार को आरसीएम वर्ल्ड, भीलवाड़ा में आयोजित सुविचार अभियान की द्वि-दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
जोशी ने कहा कि प्राचीन समय में गांव आत्मनिर्भर हुआ करते थे, उनकी हर जरूरत गांव में ही पूरी हो जाती थी। परंतु औद्योगीकरण के चलते गांवों की व्यवस्था डगमगाई है। उन्होंने कहा, “यह अच्छी बात है कि भारत में कॉर्पोरेट मार्केट आया है, लेकिन कॉर्पोरेट एग्रीकल्चर नहीं। कृषि उत्पादन के बल पर ही किसान मजबूत हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि भारत की जलवायु विविधतापूर्ण है, कश्मीर से कन्याकुमारी तक विभिन्न प्रकार की जलवायु यहां मौजूद है। लेकिन उद्योग प्रधान व्यवस्था के कारण हमने प्रकृति के साथ अन्याय किया है। भूमिगत जल, नदियां और वायु प्रदूषित हो गई हैं। “आज हवा बनाने वाली कोई फैक्ट्री नहीं है। हवा में घुलते जहर से इंसान कैसे बचेगा? यह प्रश्न हम सबके सामने है।”
भैयाजी जोशी ने आगे कहा कि भारतीय परंपरा में धरती को धरती माता और भारत माता कहा गया है, लेकिन स्वार्थवश हम इसका शोषण कर रहे हैं। वंदे मातरम् और भारत माता की जय केवल नारे नहीं, बल्कि इस भूमि से आत्मीय संबंध का उद्घोष है। शासन और समाज दोनों को मिलकर संतुलित व्यवस्था कायम करनी होगी।
उन्होंने चेताया कि जब से विज्ञान प्रकृति के विपरीत चला, समस्याएं बढ़ी हैं। इसलिए विज्ञान और प्रकृति के सामंजस्य से ही चेतन जगत की सुरक्षा संभव है। भारतीय चिंतन हमेशा “जितनी आवश्यकता उतना ही उपभोग” के सिद्धांत पर आधारित रहा है। यही सोच आज विश्व को भारत से सीखनी चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण पर बोले शिक्षा मंत्री—
संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में राजस्थान सरकार के शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि सरकार और समाज दोनों पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने चारागाहों के विकास और वृक्षारोपण को जरूरी बताया। दिलावर ने कहा कि “विलायती बबूल ने गोचर भूमि को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। पशु चरने में असहज हैं। हमें मिलकर इस विलायती बबूल का उन्मूलन करना होगा।”

उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद के प्रयोग से धरती माता का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। इसके स्थान पर हमें गौ माता के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करना चाहिए। “अगर हमें जिंदा रहना है तो गौ माता को भी जिंदा रखना होगा। तभी राजस्थान के चारागाहों का संवर्धन संभव होगा।”

कार्यक्रम का शुभारंभ —
संगोष्ठी का शुभारंभ तुलसी के पौधे में जलार्पण कर किया गया। इस अवसर पर प्रांत कार्यवाह डॉक्टर शंकर लाल माली, भीलवाड़ा कलेक्टर जसमीत सिंह सिंधु, आरसीएम वर्ल्ड डायरेक्टर तिलोकचंद छाबड़ा, ग्राम विकास अखिल भारतीय सहसंयोजक शंभू गिरी, तथा क्षेत्र संघ चालक डॉक्टर रमेश अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में अपना संस्थान राजस्थान प्रदेश सचिव विनोद मेलाना ने मंचस्थ अतिथियों का परिचय दिया। सुविचार अभियान गीत का वाचन डॉ. परमेश्वर प्रसाद कुमार ने किया। संचालन पोखर गुर्जर और घासीराम ने किया।
इस मौके पर क्षेत्र प्रचारक निंबाराम, क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री, क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य हनुमान सिंह राठौड़, क्षेत्र गो सेवा प्रमुख राजेंद्र पामेचा, क्षेत्र ग्राम विकास संयोजक मुकेश कलवार मौजूद रहे। जनप्रतिनिधियों में भरतपुर सांसद रंजीता कोली, भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल, भीलवाड़ा विधायक अशोक कोठारी, शाहपुरा विधायक डॉ. लालाराम बेरवा, जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा, मांडल विधायक उदयलाल भड़ाना तथा सहाड़ा विधायक लादूलाल पितलिया सहित कई दायित्ववान कार्यकर्ता और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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