कैलाश चंद्र कौशिक
जयपुर! जैसलमेर!स्मार्ट हलचल/राजस्थान के पत्रकारों को भ्रमित करने का कार्य करते अधिकांश जेबी संगठन व जिला/उपखंड स्तरीय प्रेस क्लब,व्यक्ति विशेष की दुकान रुपी व नाममात्र के संगठन और प्रेस क्लब खंड-खंड कर रहे हैं! पत्रकारों की एकता को,सम्मेलन के नाम पर नेताओं , विभिन्न संस्थानों से रकम उगाई का धंधा चला कर बदनाम कर रहे हैं पत्रकारों के लिए गंभीरता से कार्य कर रहे संगठनों और प्रेस क्लबों के पत्रकार एकता के नाम पर नित नये संगठन और प्रेस क्लबों की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं।
इनका उद्देश्य सही मायनों में पत्रकारों के हितार्थ समर्पित भाव से संघर्ष करने का हो तो इसका कहना ही क्या…?
परन्तु इनमें से अधिकांश का उद्देश्य मात्र , नित हितों को साधने का होता है जो पत्रकार की एकता व छवि को छिन्न-भिन्न करने का ही कार्य करते हैं।
ऐसे लोग नेताओं के आगे-पीछे घुम कर फोटो खिंचवाने में माहिर होते हैं ताकि उन्हें प्रचारित कर अपना उल्लू सीधा कर सके उनका पत्रकारों की मांगों और उनके क्रियान्वयन से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता है।
पत्रकारों की मांगों को लेकर सरकारें भी गंभीर इसलिए नहीं हो पाती है कि किसकी बात सुने और किसकी नहीं …?
कौन सा संगठन या प्रेस क्लब सही मायनों में पत्रकारों का नेतृत्व कर रहा है और कौन सा निज स्वार्थ पूर्ति ।
इसे लेकर भी वह स्वयं भ्रमित रहती है…?
राज्य सरकार को करना तो यह चाहिए कि सभी पत्रकार संगठनों /प्रेस क्लब के रजिस्ट्रेशन से लेकर उनकी गतिविधियों , जिला/उपखंड इकाइयों , वास्तविकता में कार्यरत पत्रकार सदस्य संख्या , वेबसाइट इत्यादि का ब्यौरा रखें।
परन्तु यहां प्रश्न तो यह खड़ा होता है कि राज्य सरकार ऐसा क्यों करेंगी…??
सत्ता तो चाहती यही है कि पत्रकार खंड खंड होंगे तभी तो उन्हें बेलगाम काम करने और पत्रकारों पर नाथ डालने में आसानी होगी , वह क्यों कर चाहेंगी कि पत्रकार एकजुट हो , मजबूत हो….??
इसलिए आज के परिदृश्य को देखते हुए स्वयं पत्रकारों को ही यह सोचकर निर्णय करना होगा कि कौन-सा पत्रकार संगठन है जो वास्तविक रूप में पत्रकारों की मांगों को लेकर सक्रिय हैं और कौन-सा ऐसा जो मात्र निज स्वार्थ पूर्ति व उगाई के लिए बने हैं।
यदि पत्रकार चाहते हैं कि
उनकी लम्बित मांगों पुरी हों ,उन्हें समाज में सत्ता और शासन के बराबर सम्मान मिले , उन्हें कार्यक्षेत्र में सुरक्षित वातावरण मिले , पत्रकारिता की तेजी से खंडित होती छवि को छिन्न-भिन्न होने से रोका जाए तो उन्हें संकुचित सोच का त्याग कर विस्तृत दृष्टिकोण रखते हुए सोचना होगा , यह देखना होगा कि कौन सा संगठन हैं जिसकी शाखाएं समस्त जिलों /विधानसभा/उपखंड पर गठित हैं और आवश्यकता पड़ने पर सक्रिय भी होती है।
कौन-सा संगठन है जहां विधिवत चुनाव प्रणाली लागू हैं।
कौन-सा संगठन है जो अपने वार्षिक खर्च का सम्पूर्ण ब्यौरा संधारित कर रखता है।
कौन-सा संगठन है जो अपने संविधानानुसार सदस्यता , पदभार , इकाइयों को लेकर गंभीरता से कार्यरत्त है
उन्हें उसी संगठन की सदस्यता ग्रहण कर उसे ओर अधिक मजबूती प्रदान करनी होगी ।
और स्वार्थ पूर्ति व उगाई के उद्देश्य से खड़े संगठनों /प्रेस क्लबों और उनके द्वारा आयोजित सम्मेलनों , बैठकों का पूर्णतः बहिष्कार करना शुरू करना होगा।
वर्तमान स्थिति किसी भी पत्रकार साथी से छिपी हुई नहीं है समय रहते इसे नहीं संभाला गया तो आने वाले दिनों में यह और भी बद से बदतर होती चली जाएगी…।
इसलिए यदि हम सभी समय रहते गहराई से विचार करेंगे तभी राजस्थान प्रदेश में पत्रकारों का सम्मान और पत्रकारिता की छवि बनी रह पाएगी…??
राज्य मंत्री जोरा राम कुमावत ने संगठन की 74 वर्ष पूरे होने पर स्मारिका का विमोचन किया!