Homeभीलवाड़ासोलर प्लांट के नाम पर अनुसूचित जाति-जनजाति की 300 बीघा भूमि हड़पी

सोलर प्लांट के नाम पर अनुसूचित जाति-जनजाति की 300 बीघा भूमि हड़पी

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग

दिनेश साहू आसींद

आसींद -स्मार्ट हलचल|दलित-आदिवासी एवं घुमंतू अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) ने शनिवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग,नई दिल्ली को एक विस्तृत शिकायत-पत्र सौंपा है,जिसमें भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा उपखंड क्षेत्र की हुरडा एवं अंटाली तहसील में अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों की लगभग 300 बीघा उपजाऊ कृषि भूमि पर अवैध कब्जा कर सोलर प्लांट स्थापित करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

डगर के संस्थापक भंवर मेघवंशी एवं प्रदेश संयोजक एडवोकेट तारा चंद वर्मा द्वारा हस्ताक्षरित इस शिकायत में कहा गया है कि यह मामला न केवल भूमि अधिकारों का हनन है, बल्कि एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(iv) एवं 3(1)(v) का भी स्पष्ट उल्लंघन है,जो अनुसूचित समुदायों की भूमि पर जबरन कब्ज़े को गंभीर अपराध मानता है.

शिकायत में उठाए गए मुख्य बिंदु –

हुरडा और अंटाली तहसील की जमीनों (खसरा नंबर 3151/351/2, 3154/351/3, 3155/351/4 और 1661/103-105) को पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर हड़पा गया.

अनुसूचित जाति/जनजाति किसानों से केवल ₹2 से ₹5 लाख प्रति बीघा के नाममात्र मुआवज़े पर धोखे से दस्तखत करवाकर भूमि छीनी गई.

प्रभावित किसान परिवार जैसे रामनिवास,मूलचंद,पूनम चंद कई वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं,परंतु स्थानीय प्रशासन और पुलिस की उदासीनता और मिलीभगत के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

डगर की प्रमुख मांगें –

1- दोषी लोकसेवकों पर एससी/एसटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत तत्काल एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए.

2-2009 से अब तक अवैध रूप से खरीदी गई समस्त भूमि को “बिला-नाम” घोषित कर मूल एससी/एसटी मालिकों को वापस सौंपी जाए.

3-भ्रष्टाचार में संलिप्त सोलर कंपनियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एवं एससी/एसटी कानून के तहत जांच और सोलर प्लांट हटाने की कार्रवाई की जाए.

4-पीड़ित परिवारों को उचित बाजार मूल्य के आधार पर मुआवज़ा और सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए.

5-आयोग की ओर से एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर 30 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.

डगर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने कहा है कि- “यह मामला महज़ भूमि विवाद नहीं, बल्कि संविधान प्रदत्त अधिकारों पर हमला है.अनुसूचित जाति-जनजाति समुदायों की जमीनों को कॉर्पोरेट-सरकारी गठजोड़ द्वारा लूटा जा रहा है.आयोग को तुरंत हस्तक्षेप कर न्याय सुनिश्चित करना चाहिए.”

डगर के प्रदेश संयोजक एडवोकेट तारा चंद वर्मा ने कहा है कि – “एससी/एसटी एक्ट के तहत ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है,लेकिन प्रशासन अपराधियों को बचाने में लगा है.अगर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलनात्मक रास्ता अपनाया जाएगा.”

दलित-आदिवासी एवं घुमंतू अधिकार अभियान (डगर) ने स्पष्ट किया है कि यदि आयोग और राज्य सरकार द्वारा समयबद्ध कार्रवाई नहीं की गई,तो संगठन प्रभावित समुदायों के साथ मिलकर राज्यव्यापी आंदोलन और न्याय यात्रा शुरू करेगा.

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