मोबाइल के कारण बच्चें हों रहें अनिद्रा ( इन्सोम्निया ) के शिकार
कुमार अंकेश
बानसूर।स्मार्ट हलचल/ लगातार देश में इन्सोम्निया बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं। लोग अनिद्रा के शिकार हो रहे हैं।अनिद्रा रोग के कारण लोगों का ध्यान अस्थिर हो जाता है एवं उनके सोचने- समझने व कार्य करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आज की इस भागदौड़ व व्यस्तता भरी जिंदगी में अनियमित दिनचर्या तथा देर रात तक मोबाइल व गैजेट्स में आंखें गड़ाए रखने की प्रवृत्ति ने देश के करीब 12 से 15% लोगों को अनिद्रा की बीमारी का शिकार बना दिया है।अनिद्रा रोग के शिकार लोगों को चैन से नींद लेने में कठिनाई आ रही है इसके साथ ही स्वभाव भी आक्रामक, आलस्य भरा व दबाव युक्त हो रहा है। बच्चों व युवाओं की शिक्षा व अध्ययन प्रणाली पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। अधिक समय तक मोबाइल देखने से इससे निकलने वाली तरंग आंखों पर भी दुष्प्रभाव डालते हैं।
चिकित्सकों के अनुसार रात को बेवजह देर तक जागने,देर रात तक मोबाइल व गैजेट्स का इस्तेमाल करने,रात भर मोबाइल में वेब सीरीज, फिल्म व गेम्स देखना, देर रात तक कार्य करने की दिनचर्या और सुबह जल्दी न उठाना इस रोग के प्रमुख कारण है। बानसूर उप जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ.भूरा सिंह बैसला ने बताया कि अनिद्रा की बीमारी नई नहीं है लेकिन मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल करने से बीते कुछ वर्षों में मामले बढ़ रहे हैं। पीएमओ बैसला ने बताया कि मोबाइल का स्क्रीन टाइम कम करके, इलेक्ट्रिकल गैजेट्स व मोबाइल के देर रात तक उपयोग को बंद कर, निर्धारित समय पर भोजन कर,नियमित दिनचर्या बनाकर,रात को समय से सो कर,देर रात चाय व काॅफी का सेवन न करके तथा सुबह जल्दी उठकर अनिद्रा की बीमारी से बचा जा सकता है।
बच्चों को मोबाइल से दूर रखें- पीएमओ डॉ.बैसला
बानसूर उप जिला अस्पताल के पीएमओ डॉ. भूरा सिंह बैसला ने बताया कि मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से अनिद्रा के मामले बढ़ रहे हैं। युवाओं और बच्चों में रात्रि देर तक मोबाइल पर गेम खेलने,फिल्म व सीरीज देखने की आदत ने अनिद्रा बीमारी के मामले बढ़ा दिए हैं।अभिभावक बच्चों को मोबाइल से दूर रखें ताकि इस बीमारी से बचा जा सके।
खेल मैदान से दूर हुए बच्चें- आर सी यादव
निजी शिक्षण संघ के ब्लॉक अध्यक्ष आरसी यादव ने बताया कि इस मोबाइल के दौर में बच्चे खेल मैदान व खेल से दूर हो गए हैं उनमें सामूहिक व सहयोग की भावना नहीं रही है। बच्चें एकांत में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। समाज व अभिभावकों को बच्चों को खेल मैदान की ओर प्रेरित करना होगा।