राजेश जीनगर
भीलवाड़ा । मानसून सत्र में खराब हुई शहर की सड़कों की ज्यों ही नगर विकास न्यास और नगर निगम ने सुध लेने की सोची, वैसे ही सीवरेज लाइन वालों की भी नींद उड़ गई, नई बनाई जा रही सड़कों पर वापस गड्ढों के घाव किए जा रहे हैं। जबकि सीवरेज वाले चाहें तो सड़क बनने के दौरान वो भी अपना काम पुरा कर सकते हैं। लेकिन वो जैसे सिर्फ़ सड़कें नई होने का इंतजार करते है। ऐसे में सवाल ये उठता है की इसमें आम जनता का दोष है, वो इनकी गलती खामियाजा क्यों भुगते ?? सरकार सौंदर्याकरण कार्यों पर तो लाखों- करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, आम जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा धुल रहा है और उन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं है, ऐसा क्यों ?? शहर में कहीं कहीं तो सड़कें ऐसी है की वहां से गुजरना दुभर हैं। इसके उदाहरण हैं, शहर के व्यस्ततम दो रोड जिसमें पहला आचार्य महाप्रज्ञ सर्किल से लेकर ट्रांसपोर्ट नगर में अजंता होटल तक जाने वाला रोड, इस रोड को बनाने के लिए जिम्मेदार विभाग ने खोद डाला। इसे दस-बारह दिन हो गए, लेकिन डामरीकरण करना शायद भूल गया। ट्रांसपोर्ट नगर में दिनभर भारी वाहनों की आवाजाही रहती है जिससे यहां पूरे दिन धूल के गुबार उड़ रहे हैं। ऐसा लगता है मानो किसी गांव के रोड पर आ गए हों। आसपास के दुकानदार, वाहन चालक खास तौर पर दुपहिया वाहन चालक और पैदल जाने वाले परेशान हैं। उड़ती धूल सांस में घुल रही है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य खराब होने का भी खतरा है। दूसरा रोड है विजयसिंह पथिक नगर से बीएसएनएल कॉलोनी चौराहे से लेकर मोती बावजी ग्रिड की ओर जाने वाले इस रोड को कुछ समय पहले ही डामर कर बनाया गया था। ठेकेदार ने रोड बनाने में ऐसी लापरवाही बरती कि सीवरेज लाइन के चैंबर के ढक्कनों पर ही रोड बना डाली। अब सीवरेज वाले चैंबर के ढक्कन ढूंढते हुए नई रोड को ब्रेकर से तोड़ रहे हैं। ना तो सीवरेज वालों को कोई रोकने वाला है, ना ही रोड बनाने वाले लापरवाह ठेकेदार पर कोई कार्रवाई करने वाला। नतीजा-नए रोड पर जगह जगह फिर से गड्ढे हो कर दिए और नया रोड़ फिर से छलनी हो गया, इससे वाहन चालकों की परेशानी और बढ़ गई। जिम्मेदारों की इस अनदेखी से आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।