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रामलला की मूर्ति काली या श्यामल क्यों,रामलला की आंखें क्यों ढकी हुई हैं?

Ayodhya Ram Temple:उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की सारी तैयारियां पूर्ण हो गई हैं। कल के शुभ मुहूर्त पर राम मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा के उद्घाटन किया जाएग।

अयोध्या के राम मंदिर(Ram Mandir) में कल यानी 22 जनवरी 2024 (सोमवार) को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की सारी तैयरियां पूरी हो चुकी हैं। बता दें कि शुभ मुहूर्त में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान राम(Ram Mandir) की मूर्ति की तस्वीरें सामने आई, जिसमें उनका बाल स्वरूप, श्यामल पत्थर से तैयार दिखाई दे रहा है। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहा है कि आखिर रामलला की मूर्ति काली या श्यामल क्यों है।

इसलिए काली है रामलला की मूर्ति

दरअसल, रामलला की मूर्ति शिला पत्थर से निर्मित है। इस काले पत्थर को कृष्ण शिला भी कहते हैं। इस कारण से भी रामलला की मूर्ति श्यामल है। जिस पत्थर से रामलला की मूर्ति(Ram Mandir) का निर्माण हुआ है, उसके कई गुण हैं। यह पत्थर कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है।

रामलला की आंखें क्यों ढकी हुई हैं?

आंखें शरीर की ऊर्जा और तेज का केंद्र होती हैं। भगवान राम के मंदिर में मंत्रोच्चार का आयोजन किया जा रहा है। मंत्रों के प्रवाह के साथ मूर्ति में देवता का वास स्थापित किया जाता है। देवता की ऊर्जा आंखों से प्रवाहित होने लगती है लेकिन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार,

महाआरती से पहले मूर्ति की आंखें खुली रखने से धार्मिक अनुष्ठान में बाधा आ सकती है और प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण नहीं हो पाती है। इसलिए, महा आरती के बाद, विशेष मंत्रों का जाप किया जाएगा और फिर आंखों की पट्टी खोल दी जाएगी, जिससे देवता की ऊर्जा आंखों से पूरी मूर्ति में प्रवेश कर सकेगी।

जानें क्यों खास है ये शिला पत्थर?

प्रभु रामलला की मूर्ति के निर्माण में शिला पत्थर का इस्तेमाल करने के पीछे एक वजह यह भी है कि जब रामलला का दूध से अभिषेक किया जाएगा, तो दूध के गुण में पत्थर की वजह से कोई बदलाव नहीं होगा। साथ ही उस दूध का उपभोग करने पर स्वास्थ्य पर कोई गलत असर नहीं पड़ता है। ये हजार से भी अधिक वर्षों तक यूं ही रह सकता है, इसमें किसी प्रकार को कोई बदलाव नहीं होगा।

जब रामलला की आंखों की पट्टी खोली जाएगी तो उनकी आंखों में मौजूद तेज, ऊर्जा और तरंगें इतनी तेज होंगी कि इस ऊर्जा को सोखने के लिए उनकी आंखों के ऊपर एक दर्पण लगाया जाएगा। इस ऊर्जा और तरंगों को देखने की क्षमता केवल ईश्वर में ही होगी और किसी में भी इस ताप को सहन करने की क्षमता नहीं होगी। ऐसे में यदि इस समय दर्पण टूट जाए तो माना जाएगा कि मूर्ति में देवता का वास हो गया है।

आंखों में क्यों लगेगा सूरमा?

22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गर्भगृह में रामलला की आंखों में सुरमा लगाएंगे, लेकिन सुरमा क्यों लगाया जाएगा? दरअसल, आयुर्वेद में सुरमा को आंखों की रोशनी के लिए जरूरी माना गया है। जैसे एक मां अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए उन्हें काला तिलक लगाती है।

आँखों में सुरमा डालता है। इसी तरह रामलला को नजर लगने से बचाने के लिए उनकी आंखों में सुरमा डाला जाएगा। वैसे तो सूरमा को भगवान की आंखों में लगाने की परंपरा रही है।

वाल्‍मीकि रामायण में मिला है वर्णन

वहीं वाल्‍मीकि रामायण में भी भगवान राम के स्वरूप को श्याम वर्ण में ही वर्णित किया गया है। इसलिए, इस कारण भी रामलला की मूर्ति का रंग श्यामल है और रामलला का श्यामल रूप में ही पूजन होता है।

कुछ ऐसी है रामलला की मूर्ति

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार, भगवान श्री रामलला की मूर्ति, पांच वर्ष के बालक का स्वरूप है। उन्होंने बताया कि मूर्ति 51 इंच की है और रामलला की मूर्ति का निर्माण काले पत्थर से किया गया है। साथ ही रामलला की मूर्ति में भगवान के कई अवतारों को दर्शाया गया है।

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