नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जारी वोटों की गिनाती में आम आदमी पार्टी(AAP) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी तो दिल्ली की सत्ता से बेदखल हो ही रही है, उसके सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से बीजेपी के प्रवेश वर्मा से हार गए हैं। केजरीवाल इसी सीट से कांग्रेस की शीला दीक्षित को हराकर दिल्ली का सीएम बने थे। इसके साथ ही पार्टी के दूसरे बड़े नेता मनीष सिसोदिया भी जंगपुरा से चुनाव हार गए हैं। सिसोदिया 2020 के चुनाव में ही पटपड़गंज से काफी कम अंतर से जीते थे, जिसके बाद इस चुनाव में वह ‘आप’ के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित सीट मानी जानेवाली जंगपुरा से उम्मीदवार बन गए थे। ‘आप’ के लिए राहत भरी खबर कालकाजी सीट से आई, जहां मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना भाजपा के रमेश बिधुड़ी से नजदीकी मुकाबले में जीत गईं। दूसरी तरफ 26 साल बाद भाजपा 26 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर आसीन होने की ओर अग्रसर है। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, भाजपा 70 सदस्यीय विधानसभा की 48 सीट पर जबकि आप 22 सीट पर आगे है। रुझानों में कांग्रेस एक भी सीट पर आगे नहीं है। यही परिणाम रहा तो लगातार तीसरी बार दिल्ली में कांग्रेस का खाता नहीं खुलेगा । सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती शुरू होने के साथ ही केजरीवाल और प्रवेश वर्मा के बीच कांटे का मुकाबला रहा। पहले राउंड की गिनती में प्रवेश वर्मा 74 वोटों से आगे थे, लेकिन दूसरे राउंड के बाद केजरीवाल 254 वोटों से आगे निकल गए थे। इसके बाद प्रवेश वर्मा ने बढ़त बनानी शुरू कर दी। 13 राउंड के बाद केजरीवाल करीब पौने चार हजार वोटों से हार गए। केजरीवाल ने 2013 के चुनाव में नई दिल्ली सीट से ही तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर अपनी राजनीति की शुरुआता की थी। वह लगातार यहां से तीन बार विधायक बने और दिल्ली के मुख्यमंत्री भी। अरविंद केजरीवाल को हराने के बाद प्रवेश वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने की रेस में शामिल हो गए हैं। केजरीवाल को हराने के तत्काल बाद प्रवेश वर्मा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को कॉल किया। बताया जा रहा है कि शाह ने तत्काल उन्हें मिलने के लिए बुला लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी प्रवेश वर्मा को नई सरकार में बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। तीन बार पटपड़गंज से विधायक रहे मनीष सिसोदिया ने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सीट बदली थी, लेकिन जंगपुरा जाने का दांव भी काम नहीं आया और सबसे सुरक्षित मानी जानेवाली सीट से भी हार गए। वह भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह से 594 वोटों से हार गए। तरविंदर सिंह और मनीष सिसोदिया के बीच हर राउंड की गिनती के बाद रुझान बदल रहे थे। 10वें राउंड में जाकर हार-जीत का फैसला हो पाया। पंजाबियों के प्रभाव वाली कालकाजी सीट से आतिशी मुश्किल से जीत पाई। पहले राउंड से लेकर आठवें राउंड तक की गिनती में वह भाजपा के रमेश बिधुड़ी से पीछे रहीं, लेकिन बाद के चार राउंड में उन्होंने निर्णायक बढ़त बना ली। 12 वें और अंतिम राउंड की गिनती के बाद वह करीब तीन हजार वोटों से विजयी रहीं। दिल्ली में 5 फरवरी को हुए मतदान में 60.54 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इन रुझानों के आधार पर बीजेपी का प्रदर्शन प्रभावशाली दिख रहा है। आम आदमी पार्टी के लिए रुझान निराशाजनक है, खासकर तब जब उसने बीते वर्षों में दिल्ली में बड़े पैमाने पर विकास कार्यों का दावा किया है। हालांकि, मतगणना अभी जारी है और रुझान बदल भी सकते हैं। लेकिन अब तक के आंकड़े यह इशारा कर रहे हैं कि बीजेपी इस बार दिल्ली में बड़ा उलटफेर कर सकती है।