ए विनोद जी बांसडीह,नल की टोंटीबंद करने से उसका जल बंद नही होता।ब्लाक मेरे नंबर को करके आपके कुकर्म कम नही होंगे,चटूहा गैंग के गैंगेस्टर।
स्मार्ट हलचल/इस सांड का लगा ही क्या है जो भूत हुए माई-बाप का भी इस्तेमाल लूटने में ही कर रहा है।एक डाकू साधु हो गया,समझ आता है लेकिन एक डाकू साधु के वेश में घोड़ा लूटा तो उसे कहना पड़ता है कि घोड़ा ले जा रहे हो तो ले जाओ, लेकिन किसी को ये मत कहना कि साधु के वेश में घोड़ा लूटा? नहीं तो समाज में से साधु का भरोसा उठ जाएगा? लेकिन लल्लन सिंह जी आपने साधु के वेश धर लूटा है समाज को, लूटा है कालेज को और लूटा स्वाभिमान को। फिर सवाल वही,आपका या आपके भूत-भूतनी का,आपके समधियों का,आपके बहनोइयों का,आपके चटूहों रिश्तेदारों का कितना ढेला विद्यालय में लगा है,गद्दारों के खलिफा? क्या कालेज को कश्मीर बना रखा है,आपके दामाद, बहनोई,भाई सदस्य बन सकते हैं लेकिन रवि सिंह नही बन सकता? मुगल काल में जो उनकी नही मानता था,उनके पर जजिया कर लगता था वैसे ही आपके परिवार पर भी कर लगना चाहिए क्योंकि समाज की तो आपने सुनी ही नही।अपने नश्ले हरामियों से कह दिजिए कि पौधे पिलर उखड़वाने से क्या होने वाला है। उखाड़ने का एक विभाग बना के उसका हेड आफ डिपार्टमेंट बना दें?आपके माई-बाप और कुछ हरामी पिल्ले दे ही दिए हैं विद्यालय?