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 पद्मश्री और पद्मविभूषण गजल सम्राट जगजीत सिंह का जन्मदिन आज,बेटे की डेड बॉडी लेने के लिए देनी पड़ी रिश्वत

Ghazal Emperor Jagjit Singh: गजल सम्राट जगजीत सिंह का आज यानी 8 फरवरी को जन्मदिन है. मूल रूप से श्रीगंगानगर के रहने वाले जगजीत सिंह की गजलें ना केवल भारत में बल्कि भारतीय सीमाओं के बाहर विदेशों में भी खूब सुनी और पसंद की जाती है. अपनी मखमली आवाज से दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बनाने वाले जगजीत सिंह अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन अपने फैन्स के दिलों में जगजीत सिंह हमेशा मौजूद रहते हैं.

शुरुआती दौर

जगमोहन सिंह धीमान ,जिन्हे हम जगजीत सिंह के नाम से जानते है ग़ज़ल की दुनिया का ऐसा नाम है जिससे शायद ही कोई अनजान होगा। मखमली आवाज़ के मालिक जगजीत सिंह ने ग़ज़ल की विद्या को एक नया आयाम दिया।

जगजीत जी का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के गंगानगर में सिक्ख परिवार में हुआ था। पिता सरदार अमर सिंह धमानी उन्हें इंजीनियर या आईएएस कर्मचारी बनाना चाहते थे पर संगीत के शौक़ीन जगजीत के नाम का तारा किसी और आकाश में चमकने वाला था।

उहोने आरंभिक संगीत शिक्षा पंडित छगनलाल शर्मा और सेनिया घराने के उस्ताद जमाल खान से ली। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत जालंधर रेडियो पर गायक के रूप में की फिर 1965 में मुंबई आ गए। यहां से संघर्ष का दौर शुरू हुआ। वे पेइंग गेस्ट के तौर पर रहा करते थे और विज्ञापनों के लिए जिंगल्स गाकर या शादी-समारोह वगैरह में गाकर रोज़ी रोटी का जुगाड़ करते रहे। 1967 में जगजीत जी की मुलाक़ात चित्रा से हुई। दो साल बाद दोनों 1969 में परिणय सूत्र में बंध गए। 1976 में आया जगजीत जी का पहला एलबम ‘द अनफ़ॉरगेटेबल्स ’ हिट रहा।जगजीत ने इस एलबम की कामयाबी के बाद मुंबई में पहला फ़्लैट ख़रीदा। इसके बाद उन्होंने कामयाबी की जो राह पकड़ी तो पीछे मुड़कर फिर नहीं देखा।

आम आदमी की ग़ज़ल

जगजीत सिंह ने ग़ज़ल को आम आदमी का पसंदीदा बनाया हाँलाकि उनपर ये आरोप लगाए गए की जगजीत सिंह ने ग़ज़ल की प्योरटी और मूड के साथ छेड़खानी की। लेकिन जगजीत सिंह अपनी सफ़ाई में हमेशा कहते रहे कि उन्होंने प्रस्तुति में थोड़े बदलाव ज़रूर किए हैं लेकिन लफ़्ज़ों से छेड़छाड़ बहुत कम किया है।

जगजीत जी ने क्लासिकी शायरी के अलावा साधारण शब्दों में ढली आम-आदमी की जिंदगी को भी सुर दिए। ‘अब मैं राशन की दुकानों पर नज़र आता हूं’, ‘मैं रोया परदेस में’, ‘मां सुनाओ मुझे वो कहानी’ जैसी रचनाओं ने ग़ज़ल न सुनने वालों को भी अपनी ओर खींचा।

शायर निदा फ़ाज़ली, बशीर बद्र, गुलज़ार, जावेद अख़्तर जगजीत सिंह जी के पसंदीदा शायरों में हैं। करोड़ों लोगों को दीवाना बनाने वाले जगजीत सिंह ने मीरो-ग़ालिब से लेकर फ़ैज-फ़िराक़ तक और गुलज़ार-निदा फ़ाजली से लेकर राजेश रेड्डी और आलोक श्रीवास्तव तक हर दौर के शायर की ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी।

कुछ और शौक भी

ग़ज़ल गायकी जैसे सौम्य शिष्ट पेशे में मशहूर जगजीत जी का दूसरा शगल रेसकोर्स में घुड़दौड़ था। कन्सर्ट के बाद उन्हें कहीं सुकून मिलता था तो वो था मुंबई महालक्ष्मी इलाक़े का रेसकोर्स।

बेटे की मौत

जगजीत सिंह के इकलौते बेटे विवेक सिंह की साल 1990 में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी. ये जगजीत की जिंदगी का सबसे बुरा दौर था. वो 6 महीने तक सदमे में थे. उन्हें इस हादसे से उबरने में काफी वक्त लगा.

निधन

गजल के बादशाह कहे जानेवाले जगजीत सिंह का 10 अक्टूबर 2011 की सुबह 8 बजे मुंबई में देहांत हो गया। जिन दिनों उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ, उन दिनों वे सुप्रसिद्ध गजल गायक गुलाम अली के साथ एक शो की तैयारी कर रहे थे।

पंजाबी, बंगाली, गुजराती, हिंदी और नेपाली भाषाओं में गाना गाने वाले जगजीत सिंह को पद्मश्री और पद्मविभूषण से नवाजा जा चुका है।

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