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बजट में फिर लागू नहीं हुआ पत्रकार सुरक्षा कानून

बजट में फिर लागू नहीं हुआ पत्रकार सुरक्षा कानून,Journalist law not applicable

संगठन सहित प्रदेश भर के पत्रकारों ने जताया विरोध

मेड़ता रोड
एजाज़ अहमद उस्मानी

स्मार्ट हलचल/राजस्थान सरकार के बजट सत्र में इस बार भी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नहीं होने के कारण भारत के सबसे बड़े पत्रकार संघ आई एफ डब्ल्यु जे के पत्रकारों सहित बड़ी संख्या में अन्य पत्रकारों ने गहरा रोष जताया है। आई एफ डब्ल्यू जे संगठन के प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि हमने पत्रकार का सुरक्षा कानून को लेकर दर्जनों बाद धरना प्रदर्शन किए तथा पूर्व सरकार के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपे थे। लेकिन पूर्व सरकार ने पत्रकारों को महज़ आश्वासन के कुछ नहीं दिया।
जब प्रदेश में नई सरकार बनी तो इस संगठन ने सरकार से बड़ी उम्मीद जताई थी। लेकिन इस सरकार ने भी पत्रकारों को निराश ही किया है।
प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र की तर्ज पर राजस्थान प्रदेश में भी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए जिससे पत्रकारों को राहत मिल सके। उन्होंने बताया कि पत्रकारों के साथ आए दिन कवरेज व समाचार संकलन के दौरान मार-पीट, धमकी , गाली-गलौज की घटनाएं आम हो चली है। कवरेज के दौरान उनके कैमरों , मोबाइल को तोड़-फोड़ कर देना। एससी-एसटी एक्ट , राजकार्य में बाधा तथा अन्य गंभीर धाराओं में उनके विरुद्ध मुकदमे दर्ज करवाने जैसी घटनाओं को अंजाम देकर लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ का गला घोंटने के प्रयास निरंतर जारी हैं। ऐसे वातावरण में प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करना अनिवार्य हो चला है।
लोकतंत्र का अस्तित्व तभी तक सुरक्षित रह पाएगा जब तक यह चौथा स्तंभ सुरक्षित हैं।
लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस मांग को लगाकर टाला जा रहा है। जिसके कारण असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद है। वही पत्रकारों को अन्य सुविधाओं से भी वंचित किया जा रहा है जैसे भूखंड आवंटन व बीमारी के दौरान निशुल्क चिकित्सा खर्च तथा रेलवे , रोडवेज की बसों में यात्रा सुविधाएं सम्मिलित है। सरकार को ऐसी सुविधाएं अभी देनी चाहिए जिस पत्रकार खुलकर अपने क्षेत्र में कार्य कर सकें। उन्होंने कहा कि इस बार जो बजट पेश किया गया है उसमें पत्रकारों का कहीं भी जिक्र नहीं। सरकार को चाहिए कि पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखते हुए अगले बजट में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने तथा पत्रकारों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने का जिक्र हो। तभी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का अस्तित्व पूर्ण रूप से कायम रह पाएगा।

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