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राजगढ़ में लाइब्रेरी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण; साल 1924 में घर से शुरू हुआ था पुस्तकालय

राजगढ़ में लाइब्रेरी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण; साल 1924 में घर से शुरू हुआ था पुस्तकालय।Library establishment in Rajgarh

नागपाल शर्मा

(माचाड़ी-अलवर):-स्मार्ट हलचल/राजगढ़ कस्बे के राजकीय महाविद्यालय राजगढ़ में मंगलवार को पंचायती पुस्तकालय एवं वाचनालय राजगढ़ के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर प्राचार्य प्रो. के.एल. मीना की अध्यक्षता में “विद्यार्थी जीवन में पुस्तकालय का महत्व” विषय पर एक दिवसीय व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंचायत एवं वाचनालय,राजगढ़ के अध्यक्ष एडवोकेट भूपेंद्र शर्मा रहे, उन्होने अपने उद्बोधन में कहा कि वाचनालय के संस्थापक स्व. कृष्ण जसराज ने सन् 1924 में अपने घर से पुस्तकालय की शुरूआत की। आज पंचायती पुस्तकालय में अत्यंत महत्वपूर्ण एवं दुर्लभ पुस्तकें प्राचीन इतिहास-संस्कृति, साहित्य, जीवनियाँ आदि पुस्तके उपलब्ध हैं। विद्यार्थियों को अधिक से अधिक पुस्तकालय में जाने के लिए प्रेरित किया गया। इस अवसर पर खेमसिंह आर्य (उपाध्यक्ष)
ने विद्यार्थियों से रूबरू होने के अवसर के लिए प्राचार्य को धन्यवाद देते हुए पुस्तकों के बिना जीवन अधूरा बताया इसलिए विद्यार्थियों को नियमित रूप से पुस्तकालय से लाभांवित होते रहना चाहिए। एन एल. वर्मा ने नैतिक एवं चारित्रिक विकास में वैदिक साहित्य एवं दार्शनिक साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला। विरेन्द्र आर्य ने विद्यार्थियों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी पुस्तकों को महत्वपूर्ण बताया।
राजेश शर्मा ने पुस्तकों को विद्यार्थी जीवन में प्राणवायु बताया और पुस्तकालय में जाने के लिए प्रेरित किया। किशोर मुखर्जी ने विद्यार्थियों को तकनीक के दुष्प्रभावों से दूर रहने की सलाह दी। मदन लाल शर्मा ने पुस्तकालय को विद्यार्थी जीवन में अनुशासन एवं मितव्ययता जैसे सद्गुणों के विकास का मार्ग बताया।
प्राचार्य ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पुस्तकें व्यक्ति का सच्चा मित्र होती है, पुस्तकें जीवन में मार्गदर्शक का कार्य करती है। पुस्तकें सर्वकालिक शिक्षक है जो वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक होती है। व्यख्यानमाला का संचालन डॉ. ऑचल मीना ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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