मदर्स डे (11 मई 2025) पर विशेष
स्मार्ट हलचल|माँ… एक ऐसा शब्द जो जीवन की हर कठिनाई में संबल बनकर खड़ा रहता है। माँ सिर्फ जन्म नहीं देती, वह जीवन की दिशा भी तय करती है। ऐसी ही एक प्रेरणास्पद कहानी है डॉ. विदुषी शर्मा की, जो एक प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक और लेसिक सर्जन होते हुए भी अपनी बेटी के सपनों को साकार करने के लिए अपने सफल करियर को दो वर्षों तक त्यागने में तनिक भी नहीं हिचकिचाईं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स, नई दिल्ली), ऑस्ट्रेलिया से प्रशिक्षित डॉ. विदुषी शर्मा का नाम नेत्र चिकित्सा क्षेत्र में सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा में कार्य करते हुए अनेकों नेत्र रोगियों की आँखों में रोशनी लौटाई है, लेकिन जब बात उनकी इकलौती बेटी इशिता पाण्डेय के भविष्य की आई, तो उन्होंने ऑपरेशन थिएटर की रोशनी को छोड़कर अपनी बेटी इशिता पाण्डेय के सपनों के आकाश को रोशन करना अधिक महत्वपूर्ण समझा।
अक्सर देखा गया है कि डॉक्टर माता-पिता अपने बच्चों को भी चिकित्सा क्षेत्र में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि उनकी परंपरा और पेशा आगे बढ़ सके। परंतु नेत्र चिकित्सक डॉ. विदुषी शर्मा और उनके पति डॉ. सुरेश पाण्डेय ने इस पारंपरिक सोच से हटकर अपनी बेटी की रुचियों को प्राथमिकता दी। उन्होंने कभी इशिता पाण्डेय पर डॉक्टर बनने का दबाव नहीं डाला, बल्कि उसकी रचनात्मकता और लेखन क्षमता को पहचानते हुए क्रिएटिव राइटिंग के क्षेत्र में इशिता की रुचि एवं उसके सपनों को साकार करते हुए उसका भरपूर साथ दिया।
इशिता पाण्डेय जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल की कक्षा 12वीं की छात्रा हैं। इशिता का सपना था कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विदेशी यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग, मीडिया और पत्रकारिता की पढ़ाई करें। इशिता ने इंटरनेशनल बैकालॉरिएट पाठ्यक्रम में जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल में अध्ययन किया और इस पूरे समय उनकी माँ डॉ. विदुषी हमेशा उनके साथ रही। डॉ. विदुषी ने इशिता की न केवल शैक्षणिक सहायता ही नहीं की, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और नैतिक रूप से भी इशिता को लगातार प्रेरित किया।
डॉ. विदुषी ने तीन वर्षों तक अपने मेडिकल करियर से पूर्ण विराम लेकर इशिता की पढ़ाई, प्रोजेक्ट्स, परीक्षा और अन्तर्राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी के आवेदन प्रक्रिया में पूरा समय दिया। उनकी इसी निष्ठा और समर्पण का परिणाम है कि आज इशिता का चयन अमेरिका की 13 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों तथा यूनाइटेड किंगडम की 5 प्रमुख विश्वविद्यालयों में हुआ है। उन्हें अमेरिका की कुछ यूनिवर्सिटी द्वारा अध्ययन हेतु एक करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है।
इन प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया (यूएससी), सायरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी, स्टोनी ब्रुक यूनिवर्सिटी, एमोरी यूनिवर्सिटी (अटलांटा) और गोल्डस्मिथ यूनिवर्सिटी (लंदन) जैसी संस्थाएं शामिल हैं। इशिता अब अमेरिका के लॉस एंजेलेस स्थित एननबर्ग स्कूल फॉर मीडिया एंड जर्नलिज्म, यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया से उच्च शिक्षा आरंभ करेंगी।
इशिता की उपलब्धियाँ केवल शैक्षणिक क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने 2024 में लंदन के ग्रोसवेनर हाउस में आयोजित समारोह में ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस के हाथों जॉन लॉक ग्लोबल एस्से अवार्ड प्राप्त किया, जो उन्होंने इतिहास, राजनीति और दर्शन विषयों पर उत्कृष्ट निबंध लेखन के लिए अर्जित किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने यूनाइटेड किंगडम स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के समरविल कॉलेज में दो सप्ताह का क्रिएटिव राइटिंग कोर्स भी पूरा किया।
इशिता पाण्डेय एक कुशल लेखिका भी हैं। उन्होंने दो प्रेरणादायक पुस्तकें प्रकाशित की हैं – ए विंडो टू द वर्ल्ड ऑफ वंडर और ड्रीम बिग, फ्लाई हाई : 55 जर्नीज़ टू इंस्पायर यंग माइंड्स। इन पुस्तकों के लेखन, संपादन और प्रेरणा के पीछे भी उनकी माँ डॉ. विदुषी शर्मा की ममतामयी छाया रही है।
आज जब हम माँ के दिवस को मना रहे हैं, तो यह कहानी हमें याद दिलाती है कि माँ केवल जीवन देने वाली नहीं होती, वह जीवन को दिशा देने वाली होती है। डॉ. विदुषी शर्मा ने यह सिद्ध किया कि जब एक माँ अपने बच्चे के सपनों की रक्षा के लिए अपने करियर को भी थाम लेती है, तब बच्चा अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुँचता है।
यह कहानी उस हर माँ को समर्पित है जो अपने बच्चे की आँखों में सपना देखती है और अपनी पूरी ताकत से उसे पूरा करने में लग जाती है। डॉ. विदुषी शर्मा जैसी माताएँ ही सच्चे अर्थों में ‘माँ’ शब्द की महिमा को सार्थक करती हैं।