सड़क सुरक्षा माह: सड़को पर धड़ल्ले से दौड़ रहे ओवरलोड वाहन, टूट रहे ट्रैफिक नियम
दूपहियां वाहनों की प्लेटों से नम्बर गायब, पदों, जातियों के नाम लिखकर जमा रहे रुतबा
हाथ ठेले वालों व ऑटों चालकों ने मचा रखा है आंतक, बेतरतीब खड़े वाहनों से शहर की सड़के हो रही सकड़ी
(पंकज पोरवाल)
भीलवाड़ा।स्मार्ट हलचल/वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में सड़क सुरक्षा माह चल रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि वाहन चालक यातायात नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। सड़क पर बिना हेलमेट, बिना सीटबेल्ट वाहन चालक और ओवरलोड वाहन फर्राटा भर रहे हैं। ना तो शहर की सड़के सुरक्षित है और ना हीं आम वाहनधारी। नियमों के विपरीत सड़कों पर ओवरलोड वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे है तो बेतरतीब खड़े वाहनों से शहर की सड़के सकड़ी हो रही है। वाहनों पर नम्बर की जगह जाति लिखाने का क्रेज भी जोरों पर है। हालात यह हो रहे है की बेतरतीब खड़े वाहनों से आम आदमी को सड़कों के साइड में चलने तक की जगह नसीब नहीं हो रही। उधर ऑटों चालकों व हाथ ठेलें वालों ने तो शहर की सड़कों पर जबरदस्त आतंक मचा रखा है। जहां मर्जी आए खड़ा करते है और बीच राह में सवारी मिलते ही एक झटके में रोक देते है। ऑटों चालकों की इन हरकतों से आए दिन हादसे भी हो रहे है लेकिन यातायात पुलिस कुंभकरणी नींद में है। सड़कों पर खड़े यातायातकर्मी तो टाइमपास के अलावा कुछ करते ही नहीं और जो अधिकारी है वो पुलिस वाहन में बैठकर हाथ में माइक लिए अलाउंस करते हुए निकल जाते है। इनकी ऐसी करनी से ना तो ठेले वालों को कोई भय है और ना हीं हाथ ठेले वालों को। परेशान हो रहे है तो आम वाहनधारी और पैदल निकलने वाली शहर की जनता। जी हां ऐसा ही हो रहा है शहर में। हर साल जागरूकता के लिए सड़क सुरक्षा माह चलाया जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक को विभिन्न माध्यमों से जागरूक करने के लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते है लेकिन सब बेअसर है। उल्टा सरकार व विभिन्न संगठनों का पैसा बर्बाद हो रहा है। जागरूकता के लिए परिवहन, यातायात व पुलिस विभाग, विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर जागरूकता के लिए कंट्रोल रूम के बाहर जागरूकता प्रदर्शनी लगाता है। इस प्रदर्शनी का शुभारंभ अधिकारियों द्वारा करके विजिट कर ली जाती है लेकिन जागरूकता के नाम पर यह महज खानापूर्ति बनकर रह जाती है। शुभारंभ के बाद इस प्रदर्शनी को देखने के लिए कोई आम व्यक्ति नहीं पहुंचता। स्कूलों से बच्चों को लाकर प्रदर्शनी दिखाकर फोटो खिंचवाकर बस खानापूर्ति की जाती है। यह तो कुछ नहीं 12 महीनें सड़कों पर तैनात रहकर यातायात नियमों की पालना करवाने के जिम्मेदार यातायातकर्मी अपनी डयूटी पूरी तरह नहीं निभाते।
जाति और पेशे को नंबर प्लेट पर लिखवाना बना नया फैशन
शहर में बिना नम्बरी वाहनों के साथ ही नम्बर प्लेट पर जातियां लिखे वाहन सरपट दौड़ रहे है। कई वाहन चालकों ने तो प्लेट पर बेवजह पुलिस, अस्पताल, प्रेस, एडवोकेट, कांग्रेस व भाजपा आदि राजनैतिक पार्टियों के सिम्बल लगा रखे है। इन वाहनधारियों का इन सिम्बल से कोई सबंध नहीं होता है लेकिन प्रभाव जमाने के लिए ऐसे सिम्बल लगाकर सड़कों पर वाहन दौड़ा रहे है। ऐसे वाहनों से कोई दुर्घटना हो जाती है तो यही नंबर प्लेट इनकी पहचान होने से रोक देती है।
सवारी ऑटों को भी लोडिंग टेम्पों की तरह ले रहे उपयोग
शहर में ऑटों चालक सवारी ऑटों को भी लोडिंग टेम्पों की तरह उपयोग में लेते नजर आते है। यह सब नजारे आम है लेकिन पुलिस की नजरों से शायद दूर है यहीं कारण है की इन पर कार्रवाई नहीं होती है। शहर में सूचना केन्द्र के सामने शारदा प्रेस के बाहर, महाराणा टॉकीज, कूंभा सर्किल, पांसल चैराहा, पूर रोड़, बापूनगर, शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड, अजमेर तिराहा, सुखाडिया सर्किल सहित कई स्थानों पर इन ऑटों चालकों को मनमानी कर यातायात व्यवस्था बिगाड़ हादसों का कारण बनते देखा जा सकता है। इस के साथ ही ऑटों चालक भी ऑटों पर नम्बर छोटे और सिर्फ तूम, फिर मिलेगे सजना, बूरी नजर वाले तेरा मुंह काला, हंस मत पगली प्यार हो जाएगा, जख्मी दिल, दिल दे चूके सनम, देखते देखते प्यार हो गया, इस तरह के बेतूके वाक्य लिखाकर आम वाहनधारी का ध्यान भटकाते नजर आते है।