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सरयु से दो मुट्ठी मिट्टी लाने के बजाए कार सेवक विवादित ढांचे पर चढ गये

सरयु से दो मुट्ठी मिट्टी लाने के बजाए कार सेवक विवादित ढांचे पर चढ गये

– कुछ ही समय मे विवादित ढांचा जमीदोज हो गया

– लौटते समय ट्रेन पर हुआ था पथराव

– अयोध्या गये कार सेवक मदन गोपाल झांझोट की जुबानी

 लखन झांझोट

लाखेरी- स्मार्ट हलचल/31 साल पहले का वह मंजर आज भी आखों के सामने सजीव सा लगता है जब कार सेवको को सरयु नदी के तट पर दो मुट्ठी मिट्टी लेने जाना था लेकिन जोश मे कार सेवक विवादित ढांचे की ओर बढ गये ओर थोडे ही समय मे पुरा ढांचा कारसेवको की ओट मे आ गया।कारसेवको ने देखते ही देखते ढांचे को गिरा दिया।यह मंजर आज भी याद आता है तो अयोध्या की पुरानी यादे ताजा हो जाती है।यह कहना है कोटा से अयोध्या गये जत्थे मे शामिल वाल्मिकी समाज के मदन गोपाल झांझोट का।वे बताते है कि 6 दिसंबर 1992 के लिए देश भर से कार सेवक अयोध्या के लिए कुच कर रहे थे।तब हाड़ौती से स्वर्गीय नानक चंद,ओर में 30 नवंबर 1992 को एक जत्थे का नेतृत्व करते हुए अवध एक्सप्रेस से अयोध्या पहुंचे।यह कोटा का पहला जत्था था।जब हम कार सेवक वहां पहुंचे तो हमे पुर्व सांसद दाऊदयाल जोशी व पुर्व महापौर योगेन्द्र खींची का सानिध्य मिला।हाड़ौती के दो नामचीन शख्सियत को अयोध्या मे कार सेवको का उत्साह दुगना हो गया।तब अयोध्या पहुँचना बडी टेढी खीर था।रास्ते मे चप्पे चप्पे पर पुलिस ओर अर्ध सैनिक बलो का जमावडा था।वे लोग कार सेवको को रास्ते मे ही उतार कर जेलों मे ठूंस रहे थे।

छिपते छिपाते पहुंचे अयोध्या

कोटा से रवाना होने के बाद हम लोग छिप छिप कर अलग अलग साधनों से ओर पैदल अयोध्या तक पहुंचे।तब यह पता नही लग रहा था कि हाड़ौती से कोई ओर भी कार सेवक वहां होगे।देश भर के लोगो की भीड मे जब पुर्व महापौर व सांसद दिखे तो हमारा जोश ओर बढ गया।तब तक हम अयोध्या मे राम लला के करीब पहुंच चुके थे।इस बीच हम बडी सतर्कता से हमारी एक्टिवीटी को कंट्रोल किये थे।

फिर वह दिन आया जब मिट्टी की जगह मुट्ठी तन गयी

6 दिसंबर को जब लालकृष्ण आडवाणी व अन्य नेताओ ने सुबह 10 बजे एक विशाल आमसभा को संबोधित किया तो पुरा वातावरण जय श्री राम के जयघोष से गूँज उठा था।सभा मे घोषणा हुई कि सभी कार सेवक सरयु नदी पर जाऐंगे ओर दो मुट्ठी मिट्टी लाकर कार सेवा की शुरूआत करेंगे।तब किसी को अंदेशा नही था कि आगे क्या होने वाला है।अचानक कार सेवको का जत्था ढांचे की तरफ बढने लगा तो प्रशासन मे खलबली मच गयी।थोडी देर मे कार सेवक ढांचे के ऊपर नजर आए तो लोगो का जोश दुगना हो गया।तब तक काफी भीड ढांचे को घेर चुकी थी।फिर गोलियों की आवाज के बीच जय श्री राम के जयघोष होने लगे। चारों तरफ अफरा- तफरी मच गयी।हर कोई ढांचे की ओर जाने के लिए लालायित होने लगा।शाम चार बजे तक तो तीनो गुंबद धराशायी हो चुके थे।इसी बीच तात्कालीन सीएम कल्याण सिंह के पद से इस्तीफा देने की खबर फैल गयी।इस पुरे घटनाक्रम मे के बाद फोर्स ने हमे दुर धकेल दिया था।

आज सपना पुरा हुआ तो खुशी से गदगद है- कारसेवक मदन गोपाल झांझोट

कारसेवक मदन गोपाल झांझोट का कहना है कि वर्षो से कैद मे रहे रामलला आज पुरे राजसी वैभव के साथ अपने मुल विग्रह मे प्राण प्रतिष्ठित हो रहे है तो खुशी से गदगद है।लग रहा है वर्षो का सपना पुरा हो रहा है।वर्षो तक तो उम्मीद बहुत कम थी कि कभी अयोध्या मे राम लला का भव्य मंदिर बन पाएगा।आज सपना साकार हो रहा है तो मंदिर की वह मृत तृष्णा एक नयी उमंग के साथ आकार ले रही है। इस बात है का मलाल भी है कि कार सेवा मे गये कूछ साथियो का साथ छूट गया।

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