निंबाहेड़ा 02 नवंबर 2025,
स्मार्ट हलचल|मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ की ओर से कार्तिक शुक्ला एकादशी यानी देवोत्थापन एकादशी के पावन अवसर पर कल्याण लोक में आयोजित अपने प्रकार के अनुठे एवं प्रथम तुलसी शालीग्राम विवाह में उमड़े श्रद्धा के सैलाब ने समूचे परिसर को श्रद्धा और भक्ति से सराबोर कर दिया। भक्ति और श्रद्धापूर्ण इस विवाह के लिए कल्याण नगरी स्थित वेदपीठ परिसर से कल्याण नगरी के राजाधिराज ठाकुर श्री कल्लाजी के सानिध्य में रविवार को प्रात: सवा आठ बजे मालवीय ढोल की थाप और बैंड की मधुर धूनों के साथ शालीग्राम जी की बारात रवाना हुई। जिसका अहिंसा सर्कल तक पूरे मार्ग में नगर के विभिन्न समाजों एवं संगठनों द्वारा पुष्प वर्षा कर एवं ठाकुर जी के रथ की पूजा अर्चना करते हुए शालीग्राम जी एवं बाल गोपाल की अगवानी की। तदुपरान्त यह बारात बैंड बाजों और ढोल नगाढो के साथ कल्याण लोक पहुंची। जहां मुख्य द्वार पर तुलसी परिवार की ओर से बारात का आत्मिक स्वागत एवं अभिनन्दन कर विवाह स्थल कल्याण लोक स्थित विशाल एवं भव्य यज्ञशाला में ले जाया गया। जहां परंपरानुसार तौरण की रस्म, कलश बंधाई, स्वागत गीत, पुष्प वर्षा और बारातियों को उपरणा ओढाकर विवाह मंडप में विराजित किया गय। जहां वैदिक विधान के अनुसार यज्ञ में आहूतियां देकर तुलसी शालीग्राम के कृपा निधान बनने की कामना की गई। इसके साथ ही सप्तपदी कार्यक्रम के साथ आचार्य सीताराम शर्मा द्वारा तुलसीकी ओर से छह वचन एवं शालीग्राम जी के ओर से एक वचन के साथ विवाह की कथा श्रवण कराई गई। विधिवत विवाह के बाद यज्ञ मंडप बधाई गीतों से गुंजता रहा। बारात में बड़ी संख्या में वेदपीठ के आचार्यों, बटुकों, न्यायसियों, पदाधिकारियों, वीर वीरांगनाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में भागीदारी निभा कर इस अनुठे आयोजन को द्विगुणित कर दिया।
नजरानों का लगा ढेर
तुलसी शालीग्राम के विवाह की रस्म पूरी होते ही हथलेवा छुड़ाने के दौरान बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालु नर नारियों द्वारा नव विवाहित जोड़े के लिए नानाविध उपहार भेंट किए गए। जिससे नजरानों का ढेर लग गया। हर कोई यह देखकर चकित था कि ठाकुर जी की बारात के लिए लोगों में उत्साह देखने योग्य था। तुलसी एवं शालीग्राम परिवारों के सभी मेहमानों का स्वागत करने के साथ ही उन्हें माधूर्यभोज कराकर बारात को परंपरानुसार विदाई दी गई। जिसके पुन: वेदपीठ पहुंचने पर भव्य स्वागत के साथ नव विवाहित जोड़े को मंदिर में छप्पनभोग की झांकी के साथ विराजित किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं ने स्वागत, बधाई गीत एवं परंपरागत रात्रि जागरण के भजन गाकर बधाईयां बांटी गई।
ठाकुर जी को न्यौछावर किया छप्पनभोग
देवोत्थापन एकादशी के पावन अवसर पर जहां ठाकुर जी को स्वर्ण आभा युक्त श्रृंगार कराया गया। वहीं छप्पनभोग के रूप में मेवाड़ के नाथ श्रीनाथ जी को धराया जाने वाले छप्पनभोग के अनुरूप नानाविध मिष्ठान, चटपटे व्यंजन, सूखे मेवे सहित कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों के 251 थाल न्यौछावर किए गए। जिसकी मनोहारी झांकी देखते ही बनती थी। हर कोई श्रद्धालु अपने आराध्य के अनुपम स्वरूप, अनुठे प्रकार की छप्पनभोग की झांकी एवं मध्यस्थ विराजित तुलसी शालीग्राम के दर्शन कर स्वयं को धन्य महसूस कर रहे थे।
विवाह के उपलक्ष्य में लगाए कल्प वृक्ष एवं सिंदूर के पौधे
कल्याण लोक में वेदपीठ की ओर से प्रथम बार आयोजित तुलसी शालीग्राम विवाह की स्मृति को अक्षुण्य बनाए रखने के उद्देश्य वेदपीठ की ओर से एक कल्प वृक्ष का जोड़ा, दो सिंदूर एवं एक परिजात का पौधा रोपित कर इन पांच पौधे के पुष्पित एवं पल्लवित होने की कामना की गई।


