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एनजीटी डीएमएफटी फंड के सही उपयोग नहीं करने को लेकर सख्त, मुख्य सचिव, कलेक्टर सहित 7 अन्य को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

राजस्थान में 6000 करोड़ व भीलवाड़ा में 1800 करोड़ का फंड

भीलवाड़ा । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल जोनल बेंच भोपाल ने डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का नियमानुसार खनन प्रभावित क्षेत्रों में उचित उपयोग नहीं होने के मामले को लेकर सख्त रुख अपनाया है। भीलवाड़ा निवासी पर्यावरणविद बाबूलाल जाजू की अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के मार्फत दायर जनहित याचिका को दर्ज करते हुए न्यायाधिपति शिवकुमार सिंह एवं विशेषज्ञ सदस्य डॉ अफरोज अहमद की बेंच ने मामले मे मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, प्रमुख सचिव मिनरल रिसोर्स डिपार्टमेन्ट जयपुर, सदस्य सचिव राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल जयपुर, निदेशक खान एवं भू विज्ञान विभाग उदयपुर, सचिव स्थानीय स्वशासन विभाग, जयपुर, जिला कलक्टर भीलवाड़ा, सदस्य सचिव राजस्थान डिस्ट्रीक्ट मिनरल फाउण्डेशन फण्ड भीलवाड़ा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जाजू ने याचिका में बताया कि डीएमएफटी फंड का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों के सामने आने वाली सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करना है। 2015 से डीएमएफ योजना के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर 19,000 करोड़ रुपये की बड़ी राशि एकत्र की गई है एवं इसमें से केवल 55% का ही उपयोग किया गया है, जिससे डीएमएफ फंड की पारदर्शिता और प्रभावी उपयोग के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। जाजू ने याचिका में बताया कि डीएमएफटी फंड का उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्र के चारो और वृक्षारोपण, सिलिकोसिस रोगियों के उपचार एवं उनकी बेहतरी, पेयजल, सड़को एवं गांवों व सार्वजनिक स्थलों पर सोलर सिस्टम, पंचायतो में पौधारोपण व चारागाह विकास, वन भूमि में पौधारोपण एवं सुरक्षावॉल, सिंचाई व्यवस्था, स्वास्थ्य, ग्रामीणों की शिक्षा तथा खनन प्रभावित क्षेत्र और उसके आस पास पर्यावरण पर खनन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए अपनाए जाने वाले उपायों पर किया जाना चाहिए, जो नहीं किया जा रहा है। जाजू ने बताया कि राजस्थान में 6000 करोड़ रुपया एवं भीलवाड़ा में 1800 करोड़ रुपया डीएमएफटी फंड में जमा है एवं भीलवाड़ा में प्रतिवर्ष लगभग 300 करोड़ रुपया खनन रॉयल्टी से फंड में आता है जिसे राजनीतिक कारणो से नियमविरुद्ध अन्य कार्यों में खर्च किया जा रहा है। याचिका की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।

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